मिरर मीडिया : जिला शिक्षा अधीक्षक एवं जिला प्रारंभिक शिक्षा समिति धनबाद के द्वारा 34 निजी विद्यालयों को आरटीई के तहत दी गई मान्यता की पुनः उच्च स्तरीय कमेटी से जांच की मांग की गई है। आपको बता दें कि इस बाबत क़ो झारखंड प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन जिला सचिव इरफान खान ने इसको लेकर आज पुनः उच्च स्तरीय जांच कमेटी का गठन कर कराने हेतु जिला उपायुक्त धनबाद एवं निदेशक, प्रधान सचिव , शिकायत कोषांग, माध्यमिक शिक्षा एवं स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग झारखंड सरकार रांची अध्यक्ष एवं रजिस्टर राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग नई दिल्ली से की है।[su_image_carousel source=”media: 2930,2931,2932,2933″ slides_style=”photo” columns=”2″]
ज्ञात हो कि निशुल्क एवं अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार प्रथम संशोधन अधिनियम 2019 के प्रावधानों के तहत जिला शिक्षा अधीक्षक सह सचिव जिला प्रारंभिक शिक्षा समिति धनबाद के द्वारा तथ्यों एवं दस्तावेजों को छुपाते हुए जिले के 34 निजी पब्लिक स्कूलों को कक्षा 1 से 8 तक आरटीई के प्रावधानों के विरुद्ध जिला प्रारंभिक शिक्षा समिति से प्रस्ताव का अनुमोदन कराते हुए मान्यता दिलवाई गई है जबकि जिला प्रारंभिक शिक्षा समिति का गठन भी अपूर्ण तथा नियम विरुद्ध है जो कि जांच का विषय है। सूत्रों कि माने तो मान्यता प्राप्त सभी 34 विद्यालय भी नियमावली के तहत मान्यता की अहर्ता पूर्ण नहीं करते हैं। वहीं जिला प्रारंभिक शिक्षा समिति का गठन भी गैरकानूनी है इसलिए पूरी कार्यवाही तथा मान्यता के बिंदु पर प्रतिवेदन के विरुद्ध जांच हेतु भारत सरकार व स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग रांची को भी पूर्व में शिकायत पत्र प्रेषित किया गया था इस क्रम में भारत सरकार के शिक्षा मंत्रालय द्वारा शिकायत के आलोक में पूरे मामले की जांच हेतु स्कूली शिक्षा और साक्षरता विभाग रांची झारखंड को पत्र भेजते हुए आवश्यक कार्यवाही करने को कहा था और इस मामले में जिला शिक्षा कार्यालय जवाब भी मांगा गया था परंतु अभी तक किसी भी तरह की जांच नहीं हो पाई।
जबकि जांच का विषय सबसे बड़ी यह है कि राज्य सरकार के द्वारा 16 फरवरी 2021 को ही आदेश निकाला गया था कि आरटीई के प्रावधानों के तहत मान्यता हेतु सभी जिला के निजी स्कूलों को सीधे-सीधे विभाग के द्वारा निर्गत ऑनलाइन पोर्टल पर सभी आवश्यक दस्तावेज प्रेषित करना है और राज्य के द्वारा जांच के बाद मान्यता दी जाएगी परंतु इस आदेश का उल्लंघन करते हुए जिला शिक्षा अधीक्षक एवं जिला प्रारंभिक शिक्षा समिति के द्वारा 1 मार्च को धनबाद जिले में एक बैठक दिखाकर इन विद्यालयों को जल्दबाजी में मान्यता दी गई। जब जिला शिक्षा अधीक्षक से सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 के तहत सभी विद्यालयों की मान्यता के संबंध में जानकारी एवं दस्तावेजों की मांग की गई तो जानबूझकर गलत जानकारी देते हुए सूचना उपलब्ध कराने से स्पष्ट रूप से इंकार कर दिया गया।