लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने विकसित भारत जी राम जी विधेयक को लेकर केंद्र की मोदी सरकार पर तीखा हमला बोला है। राहुल गांधी ने सरकार को घेरते हुए कहा कि कल रात मोदी सरकार ने एक ही दिन में मनरेगा के बीस वर्षों को ध्वस्त कर दिया। राहुल गांधी ने इसी के साथ ऐलान किया कि जी राम जी विधेयक को वापस कराने के लिए राष्ट्रव्यापी मोर्चा बनाया जाएगा।

कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने केंद्र सरकार के नए कानून “विकसित भारत जी राम जी” को ग्रामीण भारत के खिलाफ एक बड़ी साजिश करार दिया। राहुल गांधी ने आरोप लगाया कि सरकार ने विकसित भारत जी राम जी विधेयक को बिना ठीक से जांच पड़ताल किए संसद से पारित करवा दिया।
नया कानून राज्य और गांव विरोधी- राहुल गांधी
सोशल मीडिया पर साझा एक पोस्ट में राहुल गांधी ने लिखा, बीती रात मोदी सरकार ने 20 साल के मनरेगा को एक दिन में ध्वस्त कर दिया। इसने अधिकार आधारित, मांग आधारित गारंटी को खत्म कर दिया है और इसे एक राशन वाली योजना में बदल दिया है, जिसे दिल्ली से कंट्रोल किया जा सकता है। यह डिजाइन से ही राज्य विरोधी और गांव विरोधी है।
मनरेगा कानून से शोषण और पलायन कम हुआ-राहुल गांधी
कांग्रेस नेता ने आगे लिखा, मनरेगा ने ग्रामीण मजदूरों को सौदेबाजी की शक्ति दी थी। वास्तविक विकल्पों के साथ शोषण और संकटकालीन पलायन में गिरावट आई, मजदूरी बढ़ी, काम करने की स्थिति में सुधार हुआ, और साथ ही ग्रामीण बुनियादी ढांचे का निर्माण और पुनरुद्धार हुआ। यह बढ़त ही वह चीज है जिसे यह सरकार तोड़ना चाहती है।
गरीबों के पास मौजूद एकमात्र हथियार हुआ कमजोर-राहुल गांधी
लोकसबा में नेता प्रतिपक्ष ने दावा किया कि काम को सीमित करके और इसे मना करने के और तरीके बनाकर विकसित भारत जी राम जी विधेयक ग्रामीण गरीबों के पास मौजूद एकमात्र हथियार को कमजोर करता है। हमने देखा कि कोविड के दौरान मनरेगा का क्या मतलब था। जब अर्थव्यवस्था बंद हो गई और आजीविका खत्म हो गई, तो इसने करोड़ों लोगों को भूख और कर्ज में डूबने से बचाया। इसने महिलाओं की सबसे ज्यादा मदद की। साल दर साल महिलाओं ने आधे से ज्यादा कार्य-दिवसों में योगदान दिया है। जब आप नौकरियों के कार्यक्रम को राशन की तरह बांटते हैं तो महिलाएं, दलित, आदिवासी, भूमिहीन मजदूर और सबसे गरीब ओबीसी समुदाय सबसे पहले बाहर धकेले जाते हैं।
कानून बिना ठीक से जांच-पड़ताल के पारित-राहुल गांधी
राहुल गांधी ने कहा, सबसे बड़ी बात यह है कि इस कानून को बिना ठीक से जांच-पड़ताल के संसद में जबरदस्ती पास कर दिया गया। बिल को स्टैंडिंग कमेटी में भेजने की विपक्ष की मांग को खारिज कर दिया गया। एक ऐसा कानून जो ग्रामीण सामाजिक अनुबंध को बदलता है, जो करोड़ों मजदूरों को प्रभावित करता है, उसे कभी भी गंभीर कमेटी जांच, विशेषज्ञ सलाह और सार्वजनिक सुनवाई के बिना जबरदस्ती पास नहीं किया जाना चाहिए।

