डिजिटल डेस्क। मिरर मीडिया: दुनिया भर में जारी संघर्षों और युद्धों के बीच पत्रकारों के खिलाफ हिंसा लगातार बढ़ रही है। हाल ही में जारी Committee to Protect Journalists(CPJ)की एक रिपोर्ट के मुताबिक, 2024 में 18 देशों में कम से कम 124 पत्रकारों की हत्या हुई।
यह आंकड़ा पिछले तीन दशकों में सबसे ज्यादा है, जब से समिति ने पत्रकारों पर हमलों का रिकॉर्ड रखना शुरू किया था। रिपोर्ट में इजरायल को 70% से अधिक पत्रकारों की मौत के लिए जिम्मेदार ठहराया गया है। समिति का कहना है कि अकेले इजरायल-गाजा युद्ध में इजरायली सेना द्वारा 85 पत्रकारों की हत्या की गई है।
इजरायल पर पत्रकारों की हत्याओं को दबाने का आरोप
सीपीजे ने अपनी रिपोर्ट में इजरायल पर आरोप लगाया कि वह पत्रकारों की हत्याओं की जांच को दबाने और दोषियों को जवाबदेह ठहराने से बचने की कोशिश कर रहा है।इजरायली सेना ने इन आरोपों से इनकार करते हुए कहा कि उन्हें कथित घटनाओं की पूरी जानकारी नहीं दी गई थी, जिससे उन्हें उन्हें रोकने में कठिनाई हुई।साथ ही सेना ने दावा किया कि वे पत्रकारों और नागरिकों को नुकसान से बचाने के लिए सभी संभव कदम उठा रहे हैं।
सूडान और पाकिस्तान पत्रकारों के लिए सबसे खतरनाक देश
रिपोर्ट के अनुसार, इजरायल के बाद पत्रकारों के लिए सबसे अधिक खतरनाक देश सूडान और पाकिस्तान रहे।इन दोनों देशों में भी कई पत्रकारों की हत्या हुई है। युद्ध, राजनीतिक उथल-पुथल और उग्रवादी हमलों के चलते इन देशों में मीडियाकर्मियों के लिए काम करना बेहद जोखिम भरा हो गया है।
पत्रकारों की सुरक्षा पर बढ़ती चिंता
सीपीजे की रिपोर्ट ने अंतरराष्ट्रीय संगठनों और मानवाधिकार समूहों का ध्यान पत्रकारों की सुरक्षा की ओर आकर्षित किया है। रिपोर्ट में इस बात पर जोर दिया गया है कि संयुक्त राष्ट्र और अन्य वैश्विक संगठनों को पत्रकारों की सुरक्षा के लिए ठोस कदम उठाने चाहिए।
पत्रकारिता लोकतंत्र का चौथा स्तंभ मानी जाती है, लेकिन लगातार हो रही हत्याएं यह सवाल खड़ा करती हैं कि क्या दुनिया भर में निष्पक्ष पत्रकारिता सुरक्षित है?