कस्तूरबा गांधी बालिका छात्रावास में आग, जर्जर भवनों में जानवरों से भी बदतर ज़िंदगी जी रही 225 छात्राएं

Manju
By Manju
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डिजिटल डेस्क/रांची: झारखंड के लातेहार में सोमवार को एक बड़ा हादसा होते-होते टल गया। बारियातू प्रखंड मुख्यालय स्थित कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय के छात्रावास में भीषण आग लग गई। इस घटना ने एक बार फिर से उन 225 छात्राओं की दयनीय स्थिति को उजागर कर दिया है, जो जानवरों से भी बदतर हालात में जीने को मजबूर हैं।

यह गनीमत रही कि सुबह 6 बजे सभी छात्राएं शारीरिक प्रशिक्षण (पीटी) के लिए मैदान में थीं, जिससे किसी को कोई नुकसान नहीं हुआ। आग हॉस्टल के हॉल नंबर 5 में लगी, जिसमें बेड, पंखे, किताबें और छात्राओं का निजी सामान जलकर राख हो गया। शुरुआती जांच में आग लगने का कारण शॉर्ट सर्किट बताया जा रहा है।

जानवरों से भी बदतर हालात में रहने को मजबूर छात्राएं

छात्रावास की स्थिति बेहद खराब है। 225 छात्राओं को सिर्फ पांच जर्जर कमरों में ठूंसकर रखा गया है। एक कमरे में 40 से 50 बेड लगे हैं, जिससे छात्राओं को सांस लेना भी मुश्किल होता है। एक छात्रा ने रोते हुए बताया, “हमें पशुओं की तरह रखा जाता है। कमरों में इतनी भीड़ होती है कि रात में नींद नहीं आती। अगर यह आग रात में लगती, तो हम सब जलकर मर जाते।” शिक्षिका मालती कुमारी ने बताया कि छत का प्लास्टर भी बार-बार गिरता रहता है, जिससे हर पल हादसे का खतरा बना रहता है।

संवेदक की लापरवाही, पांच साल बाद भी अधूरा पड़ा भवन

इस छात्रावास के लिए करोड़ों रुपये की लागत से नया भवन बनाने का प्रोजेक्ट पांच साल पहले शुरू हुआ था, लेकिन संवेदक ज्योति कंस्ट्रक्शन की लापरवाही के कारण आज भी यह अधूरा है। जिला परिषद सदस्य रमेश राम ने बताया कि उन्होंने कई बार जिला बैठकों में इस मुद्दे को उठाया, लेकिन न तो भवन पूरा हुआ और न ही संवेदक पर कोई कार्रवाई हुई। प्रखंड विकास पदाधिकारी अमित कुमार पासवान ने संवेदक की लापरवाही को स्वीकार करते हुए जल्द कार्रवाई का आश्वासन दिया है।

स्थानीय लोगों का कहना है कि एक तरफ अधिकारियों के लिए पांच सितारा सुविधा वाली इमारतें बन रही हैं, वहीं इन छात्राओं को बुनियादी सुविधाएं भी नहीं मिल पा रहीं। पुराने बिजली के तार, जर्जर भवन और भीड़भाड़ वाले कमरे हर पल हादसे को दावत दे रहे हैं।

छात्राओं की सूझबूझ से टला बड़ा हादसा

आग लगने पर छात्राओं और प्रहरी अंकित कुमार ने हिम्मत और सूझबूझ का परिचय दिया। उन्होंने तुरंत बाल्टियों से पानी डालकर आग पर काबू पाने की कोशिश की। इस बीच, बारियातू थाना के एएसआई मिथलेश कुमार मौके पर पहुंचे और जांच शुरू की। दमकल की गाड़ी भी पहुंची, लेकिन आग को पूरी तरह बुझाने में एक घंटे से ज़्यादा का समय लग गया।

यह घटना प्रशासन और शिक्षा विभाग की बड़ी लापरवाही को दर्शाती है। जिला शिक्षा पदाधिकारी प्रिंस कुमार ने मामले की जांच का आश्वासन दिया है, लेकिन छात्राओं और स्थानीय लोगों का मानना है कि यह सिर्फ़ खानापूर्ति है।

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