भारत में लागू हुए 4 नए लेबर कोड: मजदूरों और नौकरीपेशा लोगों के लिए बड़े बदलाव शुरू

KK Sagar
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केंद्र सरकार ने देश की श्रम व्यवस्था में ऐतिहासिक सुधार करते हुए चार नए लेबर कोड को लागू कर दिया है। सरकार का उद्देश्य पुराने और जटिल श्रम-कानूनों की जगह एक आधुनिक, पारदर्शी और वैश्विक मानकों के अनुरूप ढांचा तैयार करना है। इन बदलावों का सीधा असर करोड़ों मजदूरों, कर्मचारियों और कंपनियों पर पड़ेगा।

नए लेबर कोड लागू होने के बाद अब सभी कर्मचारियों को नियुक्ति-पत्र देना अनिवार्य होगा, जिससे नौकरी-सुरक्षा और पारदर्शिता मजबूत होगी। सामाजिक सुरक्षा के दायरे में भी बड़ा विस्तार किया गया है। पहले PF, ESIC और इंश्योरेंस जैसी सुविधाएँ केवल सीमित श्रेणी के श्रमिकों को मिलती थीं, लेकिन अब प्लेटफॉर्म वर्कर्स और गिग वर्कर्स सहित लगभग सभी श्रमिक इस सुरक्षा कवच में शामिल होंगे। न्यूनतम वेतन को लेकर भी बड़ा सुधार किया गया है — पहले यह केवल कुछ उद्योगों में लागू था, जबकि अब Code on Wages, 2019 के तहत हर कर्मचारी को कानूनी न्यूनतम वेतन मिलेगा।

स्वास्थ्य के मोर्चे पर भी नया प्रावधान लाया गया है। अब 40 वर्ष से अधिक उम्र वाले सभी कर्मचारियों का सालाना मुफ्त हेल्थ चेक-अप अनिवार्य होगा। वेतन भुगतान से जुड़े प्रावधान और सख्त किए गए हैं ताकि कर्मचारियों को निर्धारित समय पर वेतन मिल सके। महिलाओं के रोजगार से जुड़े नियमों में भी बड़ा बदलाव किया गया है। पहले कई कामों और रात की शिफ्ट में महिलाओं के प्रवेश पर प्रतिबंध था, लेकिन अब सुरक्षा और सहमति सुनिश्चित होने पर वे किसी भी काम व नाइट शिफ्ट में शामिल हो सकेंगी। ESIC कवरेज भी पहले कुछ राज्यों और उद्योगों तक सीमित था, लेकिन अब देशभर में 10 से कम कर्मचारियों वाले संस्थान भी ESIC से जुड़ सकेंगे, जिससे बड़ी संख्या में कर्मचारियों को स्वास्थ्य सुरक्षा लाभ मिलेगा।

कंपनियों के लिए भी कंप्लायंस प्रक्रिया को सरल बनाया गया है। पहले अलग-अलग रजिस्ट्रेशन, लाइसेंस और रिटर्न फाइलिंग की जटिल प्रक्रिया थी, जबकि नए कोड के तहत एकल रजिस्ट्रेशन और एकल रिटर्न की व्यवस्था लागू की गई है। इससे कारोबार चलाना आसान होगा और “इज़ ऑफ डूइंग बिज़नेस” में सुधार की संभावना है।

प्रभाव और चुनौतियाँ

नए लेबर सुधारों से श्रमिकों को अधिक सुरक्षा, पारदर्शिता, स्थिरता और नौकरी से जुड़े लाभ मिलने की उम्मीद है। वहीं कंपनियों के लिए नियमों की जटिलता कम होने से संचालन में आसानी होगी। इसके बावजूद इन सुधारों को लागू करना आसान नहीं होगा। राज्यों और अलग-अलग उद्योग क्षेत्रों में क्रियान्वयन की गति और व्यवस्था प्रभाव के परिणाम तय करेगी। खास तौर पर गिग वर्कर्स और प्लेटफॉर्म वर्कर्स को सामाजिक सुरक्षा और न्यूनतम वेतन व्यवहारिक रूप से कैसे उपलब्ध कराया जाएगा, यह आने वाले समय में देखने योग्य होगा।

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