फरवरी में टूटा 74 साल पुराना गर्मी का रिकॉर्ड, आगामी दिनों के लिए जारी हुई चेतावनी

Anupam Kumar
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डिजिटल डेस्क। मिरर मीडिया: जनवरी बीतने के बाद जब फरवरी में ठंडक धीरे-धीरे कम होने लगती है। इस महीने में वसंत पंचमी का पर्व भी मनाया जाता है, जब सुबह-सुबह पौधों पर ओस की बूंदें दिखाई देती हैं। फूलों की महक के बीच गुनगुनी धूप कभी इतराती, कभी छिपती-सी महसूस होती है। लेकिन इस बार, फरवरी का महीना कुछ अलग ही रंग में था।

फरवरी में बढ़ी तपिश

इस साल फरवरी का मौसम अपेक्षाकृत अधिक गर्म रहा। तापमान इतना बढ़ गया कि ओस की बूंदों का तो सवाल ही नहीं था, लोग धूप में निकलने से भी बचने लगे। देश के अधिकांश हिस्सों में फरवरी का महीना असामान्य रूप से गर्म रहा, और अब मार्च को लेकर लोगों में चिंता और संशय की स्थिति है।

सर्दियों में फसलों को खतरा

मौसम विभाग का कहना है कि इस बार फरवरी की तरह ही मार्च में भी तापमान ऊंचा रहेगा। सीनियर साइंटिस्ट डीएस पाई ने बताया कि मार्च में देश के ज्यादातर हिस्सों में न्यूनतम और अधिकतम तापमान सामान्य से ऊपर रहेगा। इसका असर सर्दियों में बोई जाने वाली फसलों जैसे गेहूं, चना और रेपसीड पर पड़ सकता है। तापमान में बढ़ोतरी से इन फसलों को नुकसान हो सकता है।

रिकॉर्ड तोड़ते तापमान

फरवरी की गर्मी ने पिछले 74 सालों का रिकॉर्ड तोड़ा है। 27 फरवरी को दिल्ली में सबसे अधिक न्यूनतम और अधिकतम तापमान दर्ज किया गया। मौसम विभाग के अनुसार, सफदरजंग में 27 फरवरी को अधिकतम तापमान 32.4 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया, जबकि न्यूनतम तापमान 19.5 डिग्री सेल्सियस रहा। यह तापमान सामान्य से काफी अधिक था।

पहाड़ी क्षेत्रों में राहत

हालांकि, पहाड़ी क्षेत्रों में हो रही बर्फबारी से मैदानी इलाकों के मौसम में थोड़ी राहत देखने को मिल रही है। इससे गर्मी का असर थोड़े समय के लिए कम हुआ है, लेकिन मौसम विभाग का अनुमान है कि मार्च से मई 2025 के बीच देश के अधिकांश हिस्सों में हीट वेव दिनों की संख्या सामान्य से अधिक रहने की संभावना है।

आगे की चुनौतियाँ

इस साल का मौसम कुछ अप्रत्याशित और असामान्य रहा है, और मार्च की शुरुआत में ही तापमान में वृद्धि के संकेत मिल रहे हैं। इससे न केवल खेती-बाड़ी पर असर पड़ेगा, बल्कि आम जीवन भी प्रभावित हो सकता है। मौसम के इस उतार-चढ़ाव के बीच हर किसी के लिए सतर्क रहना जरूरी होगा।

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