राष्ट्र निर्माण में 75 वर्ष: CSIR-NML की प्लेटिनम जुबिली कार्यक्रम में उत्साह

Manju
By Manju
3 Min Read

डिजिटल डेस्क/जमशेदपुर : बर्मामाइंस में स्थित सीएसआइआर-एनएमएल ने आज अपना 75वां स्थापना दिवस मनाया। देश के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू की दूरदर्शिता से स्थापित यह शोध प्रयोगशाला अपनी प्लेटिनम जुबिली के साथ देश के वैज्ञानिक और तकनीकी विकास की कहानी कह रही है।

खनिज, धातु और सामग्री के क्षेत्र में इन 75 वर्षों की यात्रा में, एनएमएल ने राष्ट्र के लिए अमूल्य योगदान दिया है, जिसने भारत को वैज्ञानिक और तकनीकी नेतृत्व की ओर बढ़ने और सतत विकास लक्ष्यों की ओर उद्योगों का रुझान देने में अहम भूमिका निभाई है। अपनी इस शानदार वर्षगांठ पर, प्रयोगशाला वैश्विक अर्थव्यवस्था की चुनौतियों का सामना करने और ‘विकसित भारत’ के लिए स्वदेशी प्रौद्योगिकियों को विकसित करने की दिशा में दृढ़ संकल्पित है। इसका ध्यान अब जरूरी खनिजों की उपलब्धता, उनके निकालने के तरीकों और पुनर्चक्रण में प्रौद्योगिकी की तरक्की पर है, जिसके लिए इसे खान मंत्रालय के तहत उत्कृष्टता का केंद्र भी मान्यता मिली है।

इस्पात, एलाय और नवाचार की महत्वपूर्ण भूमिका

सीएसआइआर-एनएमएल इस्पात अनुसंधान में सबसे आगे है। यह मोटर वाहन उद्योग, रक्षा अनुप्रयोगों और अंतरिक्ष जैसे रणनीतिक क्षेत्रों के लिए उन्नत स्टील ग्रेड (जैसे कवच ग्रेड और सुपरमार्टेंसिटिक स्टील) विकसित कर रहा है। इस्पात के अलावा, प्रयोगशाला नॉन-फेरस एलाय बनाने का कार्य भी करती है, जिसमें उच्च ऊर्जा घनत्व वाली एल्यूमीनियम एयर बैटरी के लिए कुशल एनोड सामग्री का विकास शामिल है। नवाचार केवल उत्पादन तक ही सीमित नहीं है; एनएमएल औद्योगिक अपशिष्ट प्रबंधन में भी सक्रिय है। यह कीमती धातुओं को निकालने, संसाधन इस्तेमाल करने और वृत्ताकार अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने के लिए पर्यावरण-अनुकूल प्रसंस्करण प्रौद्योगिकियां विकसित कर रहा है। इन प्रौद्योगिकियों को भारतीय उद्योगों और एमएसएमई को हस्तांतरित किया गया है, जिससे पुनर्चक्रण क्षेत्र में उद्यमिता और रोजगार को बढ़ावा मिला है।

ऊर्जा सुरक्षा और रणनीतिक क्षेत्रों को समर्थन

निदेशक डॉ. संदीप घोष चौधरी के अनुसार उद्योग और शैक्षणिक संस्थाओं के साथ मिलकर एनएमएल अब एक नए मुकाम पर खड़ा है और सफलतापूर्वक प्रौद्योगिकियों का व्यावसायीकरण कर रहा है। संक्षारण विज्ञान और इंजीनियरिंग के क्षेत्र में भी CSIR-NML एक उत्कृष्टता केंद्र बन गया है, जो औद्योगिक समस्या-समाधान और राष्ट्रीय संक्षारण मानचित्र बनाने में योगदान दे रहा है। रक्षा, अंतरिक्ष और रेलवे जैसे रणनीतिक क्षेत्रों में इसके योगदानों में स्क्रैप से टंगस्टन निकालना और महत्वपूर्ण परिसंपत्तियों का विफलता विश्लेषण शामिल है। इसके अलावा, भारत की ऊर्जा सुरक्षा और विकार्बनीकरण की यात्रा में ग्रीन हाइड्रोजन के महत्व को देखते हुए, प्रयोगशाला हाइड्रोजन परिवहन पाइपलाइनों के लिए सामग्री मूल्यांकन हेतु एक महत्वाकांक्षी परीक्षण बुनियादी ढांचा स्थापित कर रही है, जो राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन का एक अभिन्न अंग है।

Share This Article