धनबाद की 95 युवतियों को बंगाल की फैक्ट्री से मिली मुक्ति, घर लौटने पर परिजनों ने ली राहत की सांस

Uday Kumar Pandey
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पश्चिम बंगाल के दक्षिण 24 परगना जिले के सोनारपुर स्थित एक कपड़ा फैक्ट्री में झारखंड के धनबाद जिले की 95 युवतियां कई दिनों से फंसी हुई थीं। मंगलवार को उन्हें आखिरकार फैक्ट्री से बाहर निकलने का मौका मिला और सभी अपने घर के लिए रवाना हो गईं। ये युवतियां निरसा के पंचेत, बेनागड़िया, पतलाबाड़ी और बांदा समेत अन्य गांवों की रहने वाली हैं।

वेतन विवाद के कारण लगाया गया था ताला

इन युवतियों ने सोनारपुर के रामचंद्रपुर स्थित एक्सोडस फ्यूचरा नीट प्राइवेट लिमिटेड में बतौर कामगार सिलाई और डिजाइनिंग का कार्य किया था। बताया जा रहा है कि वेतन को लेकर फैक्ट्री प्रबंधन और स्थानीय कामगारों के बीच विवाद हो गया था, जिसके चलते फैक्ट्री के गेट पर ताला जड़ दिया गया और वहां काम करने वाली सभी युवतियां अंदर फंसी रह गईं। बीते 16 दिनों से उत्पादन पूरी तरह ठप था, जिससे युवतियों की परेशानी और बढ़ गई थी।

मीडिया में खबर आते ही हरकत में आया प्रशासन

युवतियों के फंसे होने की जानकारी जब मंगलवार को मीडिया में सामने आई, तो मामला चर्चा में आ गया। खबर प्रकाशित होने के कुछ ही घंटों के भीतर फैक्ट्री का ताला खोल दिया गया, जिससे सभी मजदूर बाहर निकल सके। इसके बाद वे अपने-अपने घरों को रवाना हो गईं।

विधायक अरूप चटर्जी की पहल से मिली राहत

फैक्ट्री में फंसी युवतियों ने निरसा के विधायक अरूप चटर्जी से संपर्क किया था। उन्होंने तत्काल मदद का आश्वासन दिया और इस मामले को गंभीरता से लिया। युवतियों ने घर लौटने के बाद विधायक चटर्जी और उन सभी लोगों का आभार व्यक्त किया, जिन्होंने उनकी रिहाई में सहयोग किया।

परिवारवालों में खुशी, युवतियों ने साझा किया अनुभव

घर लौट रही युवतियों ने बताया कि फैक्ट्री प्रबंधन ने सुरक्षा का हवाला देकर बाहर जाने से रोका था और एचआर को आवेदन देने के बावजूद किसी को बाहर निकलने की अनुमति नहीं दी गई थी। कई दिनों तक बंद रहने के कारण वे भय और चिंता में थीं। परिवार के लोग भी लगातार उनकी सुरक्षा को लेकर चिंतित थे।

कपड़ा फैक्ट्री में एक्सपोर्ट क्वालिटी सिलाई और डिजाइनिंग का करती थीं काम

ये सभी युवतियां पिछले एक साल से कपड़ा फैक्ट्री में एक्सपोर्ट क्वालिटी के कपड़ों की सिलाई और डिजाइनिंग का काम कर रही थीं। कुछ युवतियां छह महीने पहले ही इस कंपनी में भर्ती हुई थीं। हालांकि, वेतन विवाद और प्रबंधन की लापरवाही ने उनके लिए मुसीबत खड़ी कर दी। अब सभी सुरक्षित घर पहुंच चुकी हैं, जिससे उनके परिवारवालों ने राहत की सांस ली है।

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मैं उदय कुमार पाण्डेय, मिरर मीडिया के न्यूज डेस्क पर कार्यरत हूँ।