स्वदेशी हथियारों के दम पर भारत की रक्षा ताकत बढ़ी: सारस्वत

Manju
By Manju
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डिजिटल डेस्क। जमशेदपुर : पूर्व डीआरडीओ प्रमुख और नीति आयोग के सदस्य डॉ. वी.के. सारस्वत ने कहा कि मोदी सरकार के पिछले 11 वर्षों के कार्यकाल में भारत ने रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की दिशा में अभूतपूर्व प्रगति की है। जमशेदपुर में CSIR-नेशनल मेटलर्जिकल लेबोरेटरी के पांचवें प्लेटिनम जयंती व्याख्यान के अवसर पर प्रेस कॉन्फ्रेंस में उन्होंने यह बात कही।

सरस्वत ने बताया कि पहले भारत अपनी रक्षा जरूरतों का 70% आयात करता था, लेकिन अब स्थिति उलट चुकी है। आज देश अपनी जरूरतों का 70% स्वदेशी उत्पादन से पूरा करता है। इसका श्रेय सरकार की मेक इन इंडिया पहल और निजी क्षेत्र की बढ़ती भागीदारी को जाता है।

उन्होंने बताया कि आकाश मिसाइल सिस्टम और ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल जैसे स्वदेशी हथियारों ने ऑपरेशन सिंदूर में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। S-400 हवाई रक्षा प्रणाली जैसे कुछ उपकरणों को छोड़कर, अधिकांश रक्षा शस्त्रागार अब भारत में ही निर्मित हो रहे हैं। सरस्वत ने कहा ‘आयात अब केवल तत्काल जरूरतों या उन तकनीकों के लिए सीमित है, जो हमारे पास नहीं हैं।’

सरकार ने निजी क्षेत्र में अनुसंधान और विकास को बढ़ावा देने के लिए 1 लाख करोड़ रुपये का प्रावधान किया है, जिसे सरस्वत ने नवाचार के लिए महत्वपूर्ण कदम बताया। उन्होंने CSIR-NML के धातु विज्ञान अनुसंधान की भी सराहना की, जो रक्षा क्षेत्र के लिए उन्नत सामग्री विकसित करने में योगदान दे रहा है।

सरस्वत ने कहा कि भारत की यह प्रगति राष्ट्रीय सुरक्षा को मजबूत करने के साथ-साथ उसे रक्षा प्रौद्योगिकी निर्यातक के रूप में स्थापित करने की क्षमता रखती है। अनुसंधान, सार्वजनिक-निजी भागीदारी और तकनीकी विकास पर ध्यान देने से भारत विदेशी हथियारों पर निर्भरता कम करने की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहा है।

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