झारखंड की राजनीति में कुछ चेहरे ऐसे हैं जो न केवल अपनी राजनीतिक भूमिका के लिए जाने जाते हैं, बल्कि अपने व्यक्तित्व, शौक और संघर्षों के कारण भी चर्चा में बने रहते हैं। अंबा प्रसाद उन्हीं में से एक हैं — एक नेता जो घुड़सवारी के जुनून, सिविल सेवा की तैयारी और सियासी विरासत को लेकर अक्सर सुर्खियों में रहती हैं।
इस बार अंबा प्रसाद एक बार फिर सुर्खियों में हैं — वजह है प्रवर्तन निदेशालय (ED) की ताजा कार्रवाई, जिसमें मनी लॉन्ड्रिंग के आरोपों की जांच के तहत उनके और उनके करीबियों के कई ठिकानों पर छापेमारी की गई है। लेकिन यह कोई पहली बार नहीं है जब अंबा इस तरह के विवादों में घिरी हों।
घोड़े पर चढ़कर विधानसभा, बनी थीं चर्चा का केंद्र
अंबा प्रसाद का घुड़सवारी के प्रति प्रेम सिर्फ एक शौक नहीं, बल्कि उनकी सार्वजनिक पहचान का हिस्सा बन गया है।
2019 में जब वह घोड़े पर सवार होकर विधानसभा पहुंचीं, तो यह दृश्य मीडिया और सोशल मीडिया पर छा गया।
यह उनके आत्मविश्वास, साहस और परंपरा से हटकर चलने की सोच का प्रतीक माना गया। खासकर युवाओं और महिलाओं में यह एक प्रेरक तस्वीर बन गई।
UPSC से सियासत तक का सफर
राजनीति में आने से पहले अंबा प्रसाद का सपना था IAS अफसर बनने का। उन्होंने दिल्ली में रहकर UPSC की तैयारी की और वर्ष 2016 में प्रारंभिक परीक्षा पास भी कर ली थी।
लेकिन उसी दौरान उनके परिवार पर संकट आया — पिता योगेंद्र साव और मां निर्मला देवी को जेल जाना पड़ा।
इस पारिवारिक संघर्ष ने उन्हें अपनी पढ़ाई बीच में छोड़ने पर मजबूर कर दिया।
यहीं से उनकी जिंदगी ने करवट ली और उन्होंने राजनीति का रास्ता चुना।
विधायक बनीं, लेकिन विवादों ने घेरा
2019 के विधानसभा चुनाव में अंबा प्रसाद ने बड़कागांव से जीत दर्ज की, और एक युवा, ऊर्जावान नेता के रूप में उभरीं।
शिक्षा, स्वास्थ्य, सड़क और महिला सशक्तिकरण जैसे मुद्दों पर उनकी सक्रियता सराहनीय रही।
हालांकि, उनका राजनीतिक सफर बेदाग नहीं रहा।
मार्च 2024 और जुलाई 2025 में ईडी द्वारा उनके ठिकानों पर हुई छापेमारियों ने उन्हें बार-बार विवादों के केंद्र में ला खड़ा किया।
ईडी की जांच और बढ़ती मुश्किलें
4 जुलाई 2025 को हुई ताजा कार्रवाई में ईडी ने रांची, हजारीबाग और बड़कागांव के 8 स्थानों पर छापेमारी की।
कार्रवाई का संबंध कोल ट्रांसपोर्टिंग और पावर सेक्टर से जुड़ी कथित अनियमितताओं और मनी लॉन्ड्रिंग से बताया गया।
जांच टीम ने समाधान भवन, अंबा के भाई के चार्टर्ड अकाउंटेंट बादल गोयल, और अन्य सहयोगियों के परिसरों की तलाशी ली।
सूत्रों के अनुसार इस दौरान कई दस्तावेज और डिजिटल उपकरण जब्त किए गए। इससे पहले मार्च 2024 में ईडी ने 17 ठिकानों पर रेड कर 35 लाख रुपये नकद समेत कई अहम दस्तावेज बरामद किए थे।
विरासत, असहमति और चुनौती
अंबा प्रसाद ने अपने पिता योगेंद्र साव और मां निर्मला देवी की राजनीतिक विरासत को आगे बढ़ाया है, लेकिन वह केवल पारिवारिक नाम पर नहीं टिकीं। अपने दम पर उन्होंने बड़कागांव में मजबूत जनाधार बनाया।
हालांकि, सत्तारूढ़ पार्टी द्वारा हजारीबाग लोकसभा सीट से टिकट की पेशकश को ठुकराना और भाजपा पर लगातार हमला बोलना, उन्हें सत्तापक्ष की नजर में चुनौतीपूर्ण नेता बनाता रहा है। वह ईडी की कार्रवाइयों को राजनीतिक प्रतिशोध करार देती रही हैं।
अंबा प्रसाद की कहानी झारखंड की राजनीति में सिर्फ एक युवा महिला नेता के उदय की नहीं है, बल्कि यह उन संघर्षों, आरोपों, शौकों और सिद्धांतों की भी कहानी है, जो किसी भी नेता को बहस के केंद्र में लाते हैं।
आज जब वह फिर से जांच एजेंसियों के रडार पर हैं, तब यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या वह एक बार फिर खुद को साबित कर पाएंगी या यह विवाद उनके राजनीतिक सफर में नई अड़चन लेकर आएगा।