राष्ट्रीय लोक मोर्चा के प्रमुख उपेन्द्र कुशवाहा की ओर से मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को दी गई एक सलाह ने बिहार की सियासत में हलचल मचा दी है। नीतीश के पुराने करीबी रहे उपेंद्र कुशवाहा ने सार्वजनिक रूप से मुख्यमंत्री को जनता दल (यूनाइटेड) का नेतृत्व छोड़ने की सलाह दी है और उनके बेटे निशांत को उत्तराधिकारी घोषित करने की बात कही है। उन्होंने नीतीश कुमार को सलाह दी कि वे अब सरकार और पार्टी दोनों को एक साथ चलाना बंद करें और पार्टी की कमान निशांत को सौंप दें।

उपेंद्र कुशवाहा ने रविवार को बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के बेटे निशांत के जन्मदिन पर उन्हें बधाई देते हुए एक सोशल मीडिया पर एक पोस्ट किया था। उपेंद्र कुशवाहा ने अपने पोस्ट में नीतीश कुमार को सलाह देते हुए कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को समय और परिस्थितियों को समझते हुए यह स्वीकार करना चाहिए कि अब सरकार और पार्टी दोनों का संचालन उनके लिए उचित नहीं है। उन्होंने कहा कि अगर देरी हुई तो पार्टी को अपूरणीय नुकसान हो सकता है।
जदयू नेता नीतीश को सच्चाई बताने में हिचक रहे?
कुशवाहा ने कहा कि जदयू नेता शायद मुख्यमंत्री को यह सच्चाई बताने में हिचकिचा रहे हैं, इसलिए उन्होंने खुद यह बात कहने का फैसला किया। बता दें कि नीतीश कुमार वर्तमान में जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं, जबकि संजय झा कार्यकारी अध्यक्ष हैं।
राजीव रंजन ने दी प्रतिक्रिया
उपेंद्र कुशवाहा की सलाह पर जदयू के वरिष्ठ नेता राजीव रंजन ने प्रतिक्रिया दी। राजीव रंजन ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि नीतीश कुमार का स्वास्थ्य बिल्कुल ठीक है और उन्होंने बिहार के विकास के लिए नई इबारत लिखी है और कार्यकर्ता उन्हें 2025-30 तक विकसित बिहार के सपने को साकार करने वाले नेता के रूप में देखते हैं। उन्होंने नीतीश कुमार को कार्यकर्ताओं के लिए अभिभावक की तरह बताया, जिनका पार्टी में सम्मान और विश्वास अटल है।
नीतीश कुमार और उपेंद्र कुशवाहा के उतार-चढ़ा भरे संबंध
बता दें कि नीतीश की तरह उपेंद्र कुशवाहा भी एनडीए के पार्टनर हैं और लोकसभा चुनाव हार जाने के बाद बीजेपी ने अपने कोटे से उन्हें राज्यसभा का सांसद बनाया है। नीतीश कुमार के साथ उपेंद्र कुशवाहा के अनुभव खट्टे-मीट्ठे रहे हैं। कुशवाहा 2003 में जेडीयू के गठन से जुड़े थे और नीतीश के करीबी रहे। उन्होंने 2004 में विपक्ष के नेता के रूप में नीतीश का साथ दिया, लेकिन 2007, 2013 और 2023 में नीतीश से मतभेद के चलते जेडीयू छोड़कर अपनी पार्टी बना ली। वर्ष 2014 में एनडीए के साथ लोकसभा चुनाव जीतकर वे केंद्रीय मंत्री बने, लेकिन 2018 में एनडीए छोड़कर महागठबंधन में शामिल हो गए। 2020 के विधानसभा चुनाव में उनकी पार्टी को कोई सीट नहीं मिली और बाद में वे फिर जेडीयू में लौटे। 2023 में नीतीश कुमार के साथ उनका फिर तब विवाद हो गया जब नीतीश ने तेजस्वी यादव को 2025 के लिए महागठबंधन का नेता घोषित किया। कुशवाहा ने इसे जेडीयू की कमजोरी माना और अपने रास्ते अलग कर लिए।