बेघर और मानसिक रूप से बीमार लोगों के पुनर्वास पर सुप्रीम कोर्ट सख्त, “केंद्र सरकार से मांगी गई 8 हफ्ते में प्रगति रिपोर्ट, अगली सुनवाई 22 सितंबर को

KK Sagar
3 Min Read

बेघर और मानसिक रूप से बीमार लोगों के पुनर्वास की मांग को लेकर दायर एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को इसे “बेहद गंभीर और संवेदनशील मुद्दा” करार दिया। जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस संदीप मेहता की खंडपीठ ने केंद्र सरकार से इस दिशा में उठाए गए ठोस कदमों की जानकारी मांगी है।

➤ केंद्र सरकार से मांगी गई रिपोर्ट

सुनवाई के दौरान एडिशनल सॉलिसिटर जनरल (ASG) बृजेंद्र चाहर ने अदालत को बताया कि सरकार इस मुद्दे पर गंभीरता से विचार कर रही है और बैठकें चल रही हैं। उन्होंने रिपोर्ट दाखिल करने के लिए 8 सप्ताह का समय मांगा, जिसे कोर्ट ने स्वीकार करते हुए 22 सितंबर तक की मोहलत दी।

➤ कोर्ट की स्पष्ट टिप्पणी:

जस्टिस नाथ ने केंद्र सरकार को स्पष्ट किया:

“आपको इसे बहुत गंभीरता से और यथासंभव कम समय में लेने की आवश्यकता है।”

➤ याचिकाकर्ता का पक्ष

याचिकाकर्ता एडवोकेट गौरव कुमार बंसल ने पेश होकर कहा कि बेघर और मानसिक रूप से बीमार लोग “सचमुच फुटबॉल बनते जा रहे हैं”। उन्होंने अपने शब्दों के लिए क्षमा मांगते हुए कहा कि —

“क़ानून कहता है कि पुलिस थानों को इनकी देखभाल के लिए कदम उठाने चाहिए, लेकिन ऐसा नहीं हो रहा। इन लोगों में कई बार महिलाएं भी होती हैं। पुलिस की ओर से उपेक्षा मिलती है और पुनर्वास के लिए पर्याप्त योजनाएं मौजूद नहीं हैं।”

➤ कोर्ट ने क्रियान्वयन पर सवाल उठाया

ASG चाहर जब मानसिक स्वास्थ्य देखभाल अधिनियम, 2017 और केंद्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण की बात करने लगे, तो जस्टिस संदीप मेहता ने बीच में रोकते हुए पूछा:

“अधिनियम तो हैं, मिस्टर चाहर, उनका क्रियान्वयन कहां है? अनुपालन कहां है?”

➤ राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को भी बनाया गया पक्षकार

गौरतलब है कि इस जनहित याचिका में सिर्फ केंद्र ही नहीं, बल्कि सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को भी पक्षकार बनाया गया है, जिससे यह सुनिश्चित किया जा सके कि राष्ट्रीय स्तर पर एक समान नीति और व्यवस्था लागू की जा सके।

🔍 अगली सुनवाई: 22 सितंबर 2025

कोर्ट ने मामले की निगरानी करने की बात कही है और कहा कि वह इस गंभीर मुद्दे को तार्किक निष्कर्ष तक ले जाने की कोशिश करेगी। सरकार की ओर से पेश होने वाले जवाब और प्रगति रिपोर्ट के आधार पर अगली कार्यवाही की जाएगी।

Share This Article
उत्कृष्ट, निष्पक्ष, पारदर्शिता और ईमानदारी - पत्रकारिता की पहचान है k k sagar....✍️....