छात्र आत्महत्याओं पर सुप्रीम कोर्ट की सख्त पहल: सभी स्कूल, कॉलेज, कोचिंग संस्थानों के लिए जारी हुई 15 अनिवार्य गाइडलाइंस

KK Sagar
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🎓 “कुछ तो गड़बड़ है…”: सुप्रीम कोर्ट ने बढ़ती आत्महत्याओं को बताया ‘सिस्टम फेल’

देशभर में छात्रों की बढ़ती आत्महत्याओं को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने ऐतिहासिक फैसला सुनाया है। जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस संदीप मेहता की पीठ ने कहा कि “छात्रों की आत्महत्याएं केवल व्यक्तिगत विफलता नहीं, बल्कि पूरे शैक्षणिक तंत्र की विफलता हैं।” इसी संदर्भ में कोर्ट ने 15 बिंदुओं वाली बाध्यकारी गाइडलाइन जारी की है, जो अब देश के सभी स्कूल, कॉलेज, यूनिवर्सिटी और कोचिंग संस्थानों पर लागू होंगी।


📌 सुप्रीम कोर्ट द्वारा जारी 15 प्रमुख दिशानिर्देश – एक नज़र में

✅ 1. मानसिक स्वास्थ्य नीति अनिवार्य

हर संस्थान को UMMEED, Manodarpan व राष्ट्रीय आत्महत्या रोकथाम रणनीति (NSPS) के आधार पर एक नीति बनानी और वेबसाइट/नोटिस बोर्ड पर प्रकाशित करनी होगी।

✅ 2. प्रशिक्षित काउंसलर की नियुक्ति

100 या उससे अधिक छात्रों वाले संस्थानों में कम से कम एक प्रशिक्षित काउंसलर या मनोवैज्ञानिक की नियुक्ति अनिवार्य होगी।

✅ 3. बाहरी मानसिक स्वास्थ्य सेवा से लिंकअप

जहां अपने काउंसलर नहीं हैं, वहां नजदीकी अस्पताल/मनोचिकित्सक से रेफरल व्यवस्था स्थापित करनी होगी।

✅ 4. ट्रांजिशन पीरियड में सपोर्ट

कोर्स शुरू होने या परीक्षा के समय व्यक्तिगत काउंसलिंग, छोटा बैच, और तनाव प्रबंधन सत्र आयोजित करने होंगे।

✅ 5. शिक्षक-स्टाफ को अनिवार्य मानसिक स्वास्थ्य प्रशिक्षण

हर 6 महीने में शिक्षकों और स्टाफ को चेतावनी संकेत पहचानने, हस्तक्षेप और रेफरल के लिए प्रशिक्षण दिया जाएगा।

✅ 6. मानसिक स्वास्थ्य नीति की 6-मासिक समीक्षा

हर संस्थान को अपनी मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं और नीतियों की आधे-आधे वर्ष में समीक्षा करनी होगी।

✅ 7. आत्महत्या के जोखिम वाले क्षेत्रों को सुरक्षित बनाना

हॉस्टल/छात्रावासों में पंखे टैंपर-प्रूफ बनाना, छत-बालकनी जैसे जोखिम क्षेत्र सुरक्षित करना आवश्यक है।

✅ 8. प्रदर्शन आधारित वर्गीकरण पर रोक

अंकों के आधार पर छात्रों को अलग-अलग बैच में बाँटना या रैंक सार्वजनिक करना पूर्णतः वर्जित है।

✅ 9. नुकसानदेह भाषा/वर्गीकरण से बचाव

“टॉपर”, “बैकबेंचर”, “कमजोर” जैसे शब्दों के उपयोग पर पूर्णतः रोक।

✅ 10. सहानुभूति आधारित संवाद का प्रशिक्षण

काउंसलर और शिक्षकों को सहानुभूति पूर्ण व्यवहार व समावेशी संवाद शैली का विशेष प्रशिक्षण देना होगा।

✅ 11. गोपनीय शिकायत निवारण प्रणाली

यौन उत्पीड़न, रैगिंग, जातीय/धार्मिक/लैंगिक भेदभाव जैसी शिकायतों के लिए प्रभावी, गोपनीय और जवाबदेह तंत्र स्थापित किया जाए।

✅ 12. शिकायतकर्ता के खिलाफ कोई प्रतिकारक कार्रवाई नहीं

किसी भी शिकायतकर्ता, सजग गवाह या रिपोर्ट करने वाले व्यक्ति पर किसी प्रकार की अनुशासनात्मक कार्यवाही नहीं की जा सकती।

✅ 13. माता-पिता के लिए भी काउंसलिंग

आवश्यकतानुसार संस्थानों को पैरेंटल काउंसलिंग व मार्गदर्शन सत्र भी आयोजित करने होंगे।

✅ 14. आपातकालीन हेल्पलाइन और रेफरल सेवा

Tele-MANAS, NIMHANS, iCall आदि मानसिक स्वास्थ्य हेल्पलाइन नंबर प्रमुखता से प्रचारित किए जाएं।

✅ 15. जब तक केंद्र/राज्य कोई क़ानून न बनाए, ये दिशानिर्देश बाध्यकारी रहेंगे

ये सभी निर्देश तब तक लागू रहेंगे जब तक केंद्र/राज्य कोई अलग क़ानून या नियमन नहीं बना देते।


🔍 NCRB डेटा में चौंकाने वाले आँकड़े

2022 में 13,000 से अधिक छात्रों ने आत्महत्या की

इनमें से लगभग 2,200 छात्र परीक्षा विफलता से जुड़े कारणों से जान गंवा बैठे

2001 की तुलना में छात्र आत्महत्याओं में दोगुनी वृद्धि


🏛️ राज्य सरकारों को 2 महीने में कार्ययोजना बनाने का निर्देश

सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया है कि सभी राज्य सरकारें और केंद्र शासित प्रदेश दो माह के भीतर इन गाइडलाइंस को लागू करने हेतु आवश्यक नियम बनाएं या विशेष कानून बनाएं, विशेषकर कोचिंग संस्थानों के लिए।

उदाहरणस्वरूप, राजस्थान हाईकोर्ट ने पहले ही निर्देश दिया है कि जब तक “कोचिंग रेगुलेशन बिल” पास नहीं होता, केंद्र सरकार की गाइडलाइंस राज्य में बाध्यकारी रूप से लागू रहेंगी।


🧑‍⚖️ “शिक्षा केवल अंक या रैंक नहीं, गरिमा और मानसिक स्वास्थ्य है” – सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने साफ कहा है कि शिक्षा का उद्देश्य केवल रिजल्ट नहीं, बल्कि छात्र के समग्र मानसिक, भावनात्मक और सामाजिक विकास के लिए अनुकूल माहौल देना होना चाहिए।

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