विश्वविद्यालयों के नियंत्रण पर सुप्रीम कोर्ट जाएंगे बंगाल के राज्यपाल, झारखंड कैबिनेट ने भी कम किए अधिकार

Manju
By Manju
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डिजिटल डेस्क। रांची/कोलकाता: राज्य विश्वविद्यालयों के नियंत्रण को लेकर पश्चिम बंगाल के राज्यपाल सी.वी. आनंद बोस ने सुप्रीम कोर्ट का रुख करने का फैसला किया है। यह कदम राजभवन में राज्य-संचालित विश्वविद्यालयों के कुलपतियों (वीसी) के साथ हुई बैठक के बाद उठाया गया है, जिसमें अधिकांश वीसी अनुपस्थित रहे। इसी बीच झारखंड कैबिनेट ने भी विश्वविद्यालयों पर राज्यपाल के अधिकार को कम करने का फैसला किया है, जिससे राज्यपाल और राज्य सरकारों के बीच उच्च शिक्षा संस्थानों पर नियंत्रण को लेकर एक व्यापक टकराव की स्थिति उत्पन्न हो गई है।

पश्चिम बंगाल में बढ़ता गतिरोध

कोलकाता से मिली जानकारी के अनुसार पश्चिम बंगाल के राज्यपाल सी.वी. आनंद बोस ने स्पष्ट किया है कि वह सुप्रीम कोर्ट से यह स्पष्टता मांगेंगे कि राज्य विश्वविद्यालयों पर अंतिम अधिकार कुलाधिपति (राज्यपाल) के पास है या राज्य सरकार के पास। यह मुद्दा बोस और राज्य सरकार के बीच लंबे समय से चल रहे तनाव का एक और अध्याय है।

राजभवन में राज्य के उच्च शिक्षा क्षेत्र के प्रमुख मुद्दों को संबोधित करने के लिए एक बैठक बुलाई गई थी। इस बैठक में नौ वीसी शामिल हुए, जबकि अधिकांश अन्य अनुपस्थित रहे। कई अनुपस्थित वीसी ने दावा किया कि उन्हें उच्च शिक्षा विभाग की ओर से अवरोधों का सामना करना पड़ा, जबकि कुछ ने आरोप लगाया कि उन्हें घेराव किया गया या परिसर में प्रतिकूल परिस्थितियों का सामना करना पड़ा।

राज्यपाल बोस ने संवाददाताओं से कहा, ‘यह एक ऐसा मुद्दा है जिस पर स्पष्टीकरण की आवश्यकता है। कुलाधिपति की भूमिका क्या है या सरकार की? सुप्रीम कोर्ट से यह तय करने के लिए संपर्क किया जाएगा कि राज्य विश्वविद्यालयों पर अंतिम अधिकार किसके पास है – कुलाधिपति (राज्यपाल) या राज्य सरकार के पास।’ इस बैठक में डिजिटल सुधारों, जनशक्ति की कमी, नई शिक्षा नीति 2020 के कार्यान्वयन और साइबर सुरक्षा व नशा मुक्ति पर जागरूकता जैसे कई विषयों पर चर्चा होनी थी।

झारखंड कैबिनेट का निर्णय

इसी संदर्भ में, रांची से मिली खबरों के अनुसार, झारखंड कैबिनेट ने भी राज्य विश्वविद्यालयों पर राज्यपाल की शक्तियों को कम करने का महत्वपूर्ण फैसला लिया है। अब झारखंड में विश्वविद्यालयों के कुलपति (वीसी), प्रो-वीसी और वित्तीय सलाहकार की नियुक्ति राज्य सरकार द्वारा की जाएगी, जबकि पहले यह नियुक्तियां सीधे राजभवन से होती थीं। हालांकि, राज्यपाल अभी भी विश्वविद्यालयों के कुलाधिपति बने रहेंगे।

यह निर्णय झारखंड में विश्वविद्यालयों के लिए एक ‘अंब्रेला एक्ट’ लाने की योजना के तहत लिया गया है, जिसमें स्वास्थ्य और कृषि विश्वविद्यालयों तथा कॉलेजों को अलग रखा गया है। इस कदम को राज्यपाल की शक्तियों को कमजोर करने के प्रयास के रूप में देखा जा रहा है और विपक्ष द्वारा इसकी आलोचना भी की गई है, जिसमें आरोप लगाया गया है कि यह संविधान की मूल भावना के खिलाफ है और शिक्षा व्यवस्था को क्षति पहुंचाएगा।

कुल मिलाकर पश्चिम बंगाल और झारखंड दोनों राज्यों में राज्यपालों और निर्वाचित राज्य सरकारों के बीच उच्च शिक्षा संस्थानों पर नियंत्रण को लेकर संघर्ष गहरा रहा है। पश्चिम बंगाल के राज्यपाल का सुप्रीम कोर्ट का रुख करने का फैसला इस मुद्दे पर एक संभावित कानूनी मिसाल कायम कर सकता है, जो भविष्य में अन्य राज्यों में भी इसी तरह के गतिरोध के लिए महत्वपूर्ण हो सकता है।

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