डिजिटल डेस्क। रांची : झारखंड और पड़ोसी राज्यों की पुलिस अब अपनी सीमाओं पर माओवादी गतिविधियों और मादक पदार्थों की तस्करी को रोकने के लिए मिलकर काम करेगी। यह महत्वपूर्ण फैसला छत्तीसगढ़ पुलिस द्वारा वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए आयोजित पूर्वी क्षेत्रीय पुलिस समन्वय समिति (ERPCC) की बैठक में लिया गया। इस बैठक में झारखंड, बिहार, पश्चिम बंगाल और ओडिशा के डीजीपी सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारी शामिल हुए। झारखंड के डीजीपी अनुराग गुप्ता ने राज्य मुख्यालय से हिस्सा लिया।
बैठक का मुख्य उद्देश्य सीमावर्ती क्षेत्रों में माओवाद, संगठित अपराध, अवैध मादक पदार्थों की तस्करी, साइबर अपराध, मानव तस्करी और चिटफंड धोखाधड़ी पर लगाम लगाना था। डीजीपी गुप्ता ने खुफिया सूचनाओं को साझा करने और पड़ोसी राज्यों के साथ समन्वय को मजबूत करने का सुझाव दिया। उन्होंने विशेष रूप से नशीले पदार्थो की तस्करी की आशंका वाले चेक पोस्टों के नियमित निरीक्षण पर जोर दिया।
साइबर अपराध और माओवाद पर संयुक्त कार्रवाई
बढ़ते साइबर अपराधों को देखते हुए, बैठक में आपसी तालमेल और सूचनाओं के आदान-प्रदान से इन्हें रोकने पर सहमति बनी। फर्जी सिम कार्ड की बिक्री पर रोक लगाने का भी सुझाव दिया गया। माओवादियों से निपटने के लिए सीमावर्ती, नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में चरणबद्ध और समयबद्ध अभियान जारी रहेंगे। ओडिशा सीमा पर सारंडा वन क्षेत्र में नक्सलियों पर शिकंजा कसने के लिए संयुक्त अभियान चलाने की आवश्यकता पर बल दिया गया।
सभी ने खुफिया तंत्र को सशक्त बनाने और प्राप्त जानकारी को समय पर साझा कर माओवादियों के खिलाफ अभियान तेज करने पर सहमति जताई। सीमावर्ती राज्यों के पुलिस अधीक्षक आपसी समन्वय से नक्सली गतिविधियों और मादक पदार्थों की तस्करी पर कड़ी नजर रखेंगे। इस बैठक में झारखंड से आईजी विशेष शाखा प्रभात कुमार, आईजी सीआईडी असीम विक्रांत मिंज और आईजी प्रशिक्षण ए. विजयालक्ष्मी ने अपने-अपने विभागों की प्रगति प्रस्तुत की।