बिहार अभिभावक महासंघ की जीत — आखिरकार गरीब बच्चों को मिला शिक्षा का अधिकार
“कौन कहता है कि आसमां में सुराख़ नहीं होता… एक पत्थर तो तबियत से उछालो यारों…”
जमुई : लंबे संघर्ष के बाद आखिरकार न्याय की जीत हुई है। मणिद्वीप अकादमी द्वारा शिक्षा से वंचित किए गए 10 गरीब बच्चों को अब फिर से विद्यालय में पढ़ाई करने का अधिकार मिल गया है। इस पूरे मामले में बिहार अभिभावक महासंघ की भूमिका निर्णायक रही, जिन्होंने न सिर्फ स्थानीय प्रशासन बल्कि राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (NCPCR) तक अपनी आवाज पहुँचाई, आखिरकार बच्चों के भविष्य को अंधेरे से निकालने में सफल साबित भी हुआ ।
✅ शिक्षा विभाग की सख्त कार्रवाई
जिला शिक्षा पदाधिकारी (D.E.O.) जमुई, श्री दया शंकर सिंह ने बच्चों की शिक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता देते हुए मणिद्वीप अकादमी को आदेश जारी किया है कि वे सभी वंचित बच्चों को फिर से विद्यालय में पढ़ाएं। अब ये बच्चे सोमवार से फिर से स्कूल जा सकेंगे।
📩 पत्राचार और संज्ञान
बच्चों को स्कूल से निकाले जाने के बाद जब मामला उठाया गया तो स्कूल प्रबंधन द्वारा यह तर्क दिया गया था कि आय प्रमाण पत्र में त्रुटि के कारण नामांकन निरस्त किया गया है। इस पर जिला शिक्षा पदाधिकारी ने त्वरित संज्ञान लेते हुए न सिर्फ स्कूल से जवाब-तलब किया, बल्कि यह भी निर्देश दिया कि:
अभिभावकों से नये प्रमाण पत्र लिया जाए।
प्रमाण पत्र की त्रुटि को ज्ञानदीप पोर्टल के माध्यम से ठीक किया जाए।
बच्चों के दस्तावेज पुनः अपलोड किए जाएं, ताकि उनकी शिक्षा बहाल हो सके।
📌 संघर्ष की पृष्ठभूमि
मणिद्वीप अकादमी, जमुई द्वारा 10 RTE नामांकित छात्रों को गर्मी की छुट्टी के बाद प्रवेश से वंचित कर दिया गया था।
यह मामला न केवल शिक्षा का अधिकार अधिनियम, 2009 का उल्लंघन था, बल्कि बच्चों के मौलिक अधिकारों का भी हनन था।
बिहार अभिभावक महासंघ ने दिनांक 14 जुलाई 2025 को डीईओ और जिला प्रशासन को ज्ञापन सौंपा, लेकिन जब कार्रवाई नहीं हुई, तो महासंघ ने यह मामला 26 जुलाई को राष्ट्रीय बाल आयोग, दिल्ली तक पहुँचाया।
🗣️ बिहार अभिभावक महासंघ की प्रतिक्रिया
महासंघ के पदाधिकारियों ने कहा:
“यह सिर्फ 10 बच्चों की जीत नहीं, बल्कि पूरे राज्य के उन हजारों वंचित बच्चों की उम्मीदों की जीत है, जो अपने हक के लिए लड़ रहे हैं। यह संघर्ष इस बात का प्रमाण है कि सच और समर्पण के साथ की गई लड़ाई अंततः जीतती ही है।”
📚 गौरतलब है कि बिहार अभिभावक महासंघ की यह लड़ाई न सिर्फ एक मिसाल है बल्कि यह भी साबित करती है कि जब समाज संगठित होकर आवाज़ उठाता है, तो व्यवस्था को झुकना ही पड़ता है। मणिद्वीप अकादमी को बच्चों को शिक्षा से वंचित करने की भारी कीमत चुकानी पड़ी, और अब जमुई के ये बच्चे फिर से विद्यालय की दहलीज़ पर लौटेंगे — अपने सपनों और भविष्य के साथ।