RTI में खुलासा : जमुई शिक्षा विभाग के पास नहीं है निजी स्कूलों की निःशुल्क शिक्षा की आरक्षित BPL सीटों का रिकॉर्ड!

KK Sagar
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जमुई जिला शिक्षा परियोजना कार्यालय द्वारा सूचना का अधिकार अधिनियम (RTI) के तहत मांगी गई जानकारी पर जवाब दिया गया है कि वर्ष 2025-26 में जिले के अंतर्गत संचालित ऐसे निजी विद्यालयों की जानकारी कार्यालय में उपलब्ध नहीं है, जो निःशुल्क एवं अनिवार्य बाल शिक्षा अधिकार अधिनियम 2009 की धारा 12(1)(c) के तहत गरीब बच्चों को शिक्षा दे रहे हों।

यह आरटीआई प्रमोद यादव द्वारा दाखिल की गई थी, जिसमें पूछा गया था कि जमुई जिला अंतर्गत ऐसे कितने निजी विद्यालय हैं, जो Intake Capacity के अनुसार सीटें आरक्षित रखते हुए गरीब बच्चों को निःशुल्क शिक्षा दे रहे हैं। साथ ही यह भी जानना चाहा गया था कि इन विद्यालयों में सुविधाजनक सीटों की संख्या कितनी है।

जवाब में शिक्षा विभाग ने स्पष्ट किया कि मांगी गई सूचना कार्यालय में संधारित नहीं है। इस उत्तर से यह सवाल खड़ा हो गया है कि क्या जिला स्तर पर ऐसे विद्यालयों की मॉनिटरिंग और डाटा संधारण की प्रक्रिया सही ढंग से हो रही है?

लिहाजा इस जवाब से BPL सीट को छुपाने का मामला सामने आता है यह कहा जाना अतिश्योक्ति नहीं होंगी अतः जाहिर है कि किसी विद्यालय नेअपना सही सही बीपीएल सीट इंटेक कैपिसिटी अपलोड नहीं किया। वहीं जमुई के शिक्षा विभाग द्वारा दिए गए RTI के जवाब से कहीं ना कहीं
अलाभकारी समूह के बच्चों का हक उनके अधिकारो का हकमारी किया गया। सवाल तो उठना लाज़मी है कि निजी स्कूल एवं विभाग की मिलीभगत के कारण ही ऐसे विद्यालय द्वारा अपनी वास्तविक बीपीएल सीट छुपाया गया है।

इधर विशेषज्ञों का कहना है कि शिक्षा का अधिकार अधिनियम के तहत निजी स्कूलों को निर्धन और पिछड़े वर्ग के बच्चों के लिए सीटें आरक्षित करनी होती हैं और यदि प्रशासन के पास इसका रिकॉर्ड नहीं है, तो यह एक गंभीर प्रशासनिक खामी मानी जा सकती है।

इस संबंध में अब शिक्षा विभाग से सूचना अद्यतन करने और जिम्मेदारी तय करने की मांग उठ रही है ताकि गरीब बच्चों को मिलने वाले शिक्षा के अधिकार का सही क्रियान्वयन सुनिश्चित हो सके।

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