भारत पर अमेरिका का टैरिफ वार: भारतीय निर्यातकों को बड़ा झटका, लाखों नौकरियों पर खतरा : इनकी क़ीमत बढ़ने से आपकी जेब पर होगा असर

KK Sagar
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अमेरिका ने रूस से तेल खरीदने को लेकर भारत पर 25% का अतिरिक्त टैरिफ थोप दिया है, जिससे कुल टैरिफ अब 50% तक पहुंच गया है। यह निर्णय ऐसे समय पर लिया गया है जब भारत और अमेरिका के बीच 2024-25 में कुल 131.8 अरब डॉलर का द्विपक्षीय व्यापार हुआ, जिसमें भारत ने अमेरिका को 86.5 अरब डॉलर का निर्यात किया था।

इस कदम का सबसे बड़ा असर रत्न और आभूषण, वस्त्र और परिधान, झींगा, लेदर, केमिकल्स और मशीनरी जैसे प्रमुख निर्यात क्षेत्रों पर पड़ेगा। विशेषज्ञों के अनुसार यह टैरिफ भारत से अमेरिका को होने वाले निर्यात को 40 से 50 प्रतिशत तक घटा सकता है, जिससे लाखों लोगों के रोजगार पर सीधा असर पड़ेगा

ट्रंप प्रशासन का यह कदम इसलिए भी विवादों में है क्योंकि चीन और तुर्की जैसे देश, जो अब भी रूस से तेल और अन्य उत्पाद खरीद रहे हैं, उन पर ऐसा कोई प्रतिबंध नहीं लगाया गया है। विशेषज्ञों ने इसे एकतरफा और भेदभावपूर्ण कदम बताया है जो भारत को निशाना बनाता है।

थिंक टैंक GTRI की रिपोर्ट के मुताबिक अब भारतीय उत्पाद अमेरिकी बाजार में बहुत महंगे हो जाएंगे। नए शुल्क इस प्रकार हैं:

  • ऑर्गेनिक केमिकल्स पर 54%
  • कालीन पर 52.9%
  • बुने हुए वस्त्रों पर 63.9%
  • गहनों और हीरे पर 52.1%
  • मशीनरी पर 51.3%

यह शुल्क अमेरिका के पहले से लगे आयात शुल्क के अतिरिक्त हैं। नया टैरिफ दो चरणों में लागू होगा – पहला 7 अगस्त सुबह 9:30 बजे से और दूसरा चरण 27 अगस्त से प्रभावी होगा।

CITI (कॉन्फेडरेशन ऑफ इंडियन टेक्सटाइल इंडस्ट्री) ने इस फैसले को “गंभीर चिंता का विषय” बताया है और सरकार से तत्काल हस्तक्षेप की मांग की है। उनका कहना है कि अमेरिका भारत के वस्त्र और परिधान निर्यात का सबसे बड़ा बाजार है और यह निर्णय इस सेक्टर की प्रतिस्पर्धात्मकता को गहरा नुकसान पहुंचाएगा।

विशेषज्ञों का कहना है कि इस टैरिफ से भारतीय उत्पाद 30-35% तक महंगे हो जाएंगे और कई निर्यात आदेश पहले ही रोक दिए गए हैंएमएसएमई सेक्टर इस बोझ को नहीं झेल पाएगा और कई निर्यातक अपने पुराने ग्राहकों को खो सकते हैं।

ग्रोमोर इंटरनेशनल लिमिटेड, कानपुर के एमडी यदुवेंद्र सिंह सचान ने कहा कि अब समय आ गया है कि भारतीय निर्यातक वैकल्पिक वैश्विक बाजारों की तलाश करें। साथ ही उन्होंने उम्मीद जताई कि भारत और अमेरिका के बीच द्विपक्षीय व्यापार समझौता (BTA) जल्द ही अंतिम रूप लेगा, जिससे इस संकट से राहत मिल सके।

यह निर्णय भारत-अमेरिका व्यापारिक संबंधों के लिए एक गंभीर झटका माना जा रहा है और अब निगाहें भारत सरकार के अगले कदम पर टिकी हैं।

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