Bihar: बिहार SIR पर सुप्रीम कोर्ट ने आपत्ति जमा कराने की तारीख बढ़ाने से किया इनकार, सियासी दलों को बड़ी सलाह

Neelam
By Neelam
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सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को एसआईआर के खिलाफ दायर याचिकाओं पर सुनवाई की। सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग के बिहार की वोटर लिस्ट को देखने और परखने के बाद बदलाव करने से इनकार कर दिया है। कोर्ट ने कहा है कि अगर ज्यादा लोगों को दिक्कत होती है और ज्यादा लोग शिकायत करते हैं तो चुनाव आयोग समयसीमा बढ़ाने पर विचार कर सकता है। साथ हीसुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग को निर्देश दिया कि जिन लोगों के नाम मतदाता सूची से बाहर हुए हैं, वे ऑनलाइन तरीके से आवेदन कर सकते हैं। जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमाल्या बागची की पीठ ने आवेदनकर्ताओं को आधार कार्ड के साथ ही 11 अन्य दस्तावेजों के साथ आवेदन करने की मंजूरी दे दी। 

राजनीतिक दलों को खास निर्देश

बिहार में चल रहे चुनाव आयोग के विशेष गहन पुनरीक्षण अभियान यानी SIR को लेकर सुप्रीम कोर्ट में आज सुनवाई हुई है। इस दौरान शीर्ष अदालत ने अपने आदेश में कहा कि चुनाव आयोग ने हमारे निर्देशों का अनुपालन किया है। उसकी ओर से हलफनामा भी दिया गया है। कोर्ट ने आदेश देते हुए कहा कि राजनीतिक दलों के बीएलए द्वारा आपत्तियां और दावे दर्ज कराए जाएं। 12 राजनीतिक दलों के बीएलए, जो 1.6 लाख बीएलए हैं और प्रति दस के हिसाब से 16 लाख आपत्तियां और दावे शेष दस दिनों में दर्ज करा सकते हैं। नए वोटर जुड़ रहे हैं। राजनीतिक दल के प्रतिनिधि तय तिथि तक आपत्ति और दावे की जानकारी चुनाव आयोग को मुहैया कराएं।

आपत्तियां नहीं आने पर कोर्ट ने जताई हैरानी

चुनाव आयोग ने कहा कि राजनीतिक पार्टियों के बूथ लेवल एजेंट्स के जरिए अभी तक सिर्फ दो आपत्ति दर्ज कराई गई हैं। कोर्ट ने कहा कि हम आश्चर्यचकित हैं कि 1.6 लाख बीएलए राजनीतिक दलों के हैं और उनकी तरफ से आपत्तियां सामने नहीं आ रही हैं। वो आपत्तियां और दावे करें। हर एक वोटर का अधिकार है कि वो मतदाता बनने का आवेदन करे और आपत्ति भी दर्ज कराए। इन वोटरों की सहायता 12 राजनीतिक दलों को करनी चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि राजनीतिक दल अपने बीएलए को निर्देश दें कि वो ब्लॉक्स, पंचायतों, रिलीफ कैंप, गांवों समेत सभी क्षेत्रों में वोटरों की सहायता करें। आधार समेत अन्य दस्तावेज, जो ग्यारह में नहीं हैं, वो मुहैया कराएं।

अगली सुनवाई 8 सितंबर को होगी

पीठ ने कहा कि सभी राजनीतिक पार्टियों को अगली सुनवाई पर स्टेटस रिपोर्ट जमा करनी होगी, जिसमें उन्हें बताना होगा कि उन्होंने कितने लोगों की ऑनलाइन फॉर्म भरने में मदद की। पीठ ने मामले की अगली सुनवाई अब 8 सितंबर को तय की है। पीठ ने चुनाव अधिकारियों से ये भी कहा कि बूथ लेवल एजेंट्स द्वारा आवेदन कराए जाने पर उन्हें एक पर्ची भी दी जाए। चुनाव आयोग की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता राकेश द्विवेदी ने अदालत से आग्रह किया कि चुनाव आयोग को यह साबित करने के लिए 15 दिन का समय दिया जाए कि कोई भी मतदाता सूची से बाहर नहीं है। द्विवेदी ने कहा, ‘राजनीतिक दल शोर मचा रहे हैं, लेकिन स्थिति उतनी खराब नहीं है। हम पर विश्वास रखें और हमें कुछ और समय दें। हम आपको दिखा देंगे कि कोई भी मतदाता सूची से बाहर नहीं है।

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