भारत का अपना अंतरिक्ष स्टेशन: 2028 तक अंतरिक्ष में दिखेगा BAS का पहला चरण

KK Sagar
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भारत ने अंतरिक्ष की दुनिया में एक और ऐतिहासिक कदम बढ़ाते हुए अपने महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन (BAS) का भव्य मॉडल प्रदर्शित किया। यह आयोजन राष्ट्रीय अंतरिक्ष दिवस पर राजधानी दिल्ली के भारत मंडपम में हुआ, जहां भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने BAS-01 का विशाल मॉडल आम लोगों और वैज्ञानिकों के सामने प्रस्तुत किया।

इस मौके पर इसरो के वैज्ञानिकों ने जानकारी दी कि भारत 2028 तक BAS का पहला हिस्सा (BAS-01) अंतरिक्ष में स्थापित करेगा और 2035 तक स्टेशन के पांचों हिस्सों को पूरा कर लेगा। इसके साथ ही भारत उन चुनिंदा देशों की सूची में शामिल हो जाएगा, जिनके पास अपना अंतरिक्ष स्टेशन होगा। फिलहाल यह सूची बेहद छोटी है, जिसमें सिर्फ दो नाम शामिल हैं – अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) और चीन का तियांगोंग स्टेशन।


कैसा होगा भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन (BAS)?

BAS पृथ्वी से लगभग 450 किलोमीटर ऊपर निचली कक्षा (Low Earth Orbit) में स्थापित होगा।

इसका पहला मॉड्यूल BAS-01, 10 टन वजन का होगा।

इसमें वैज्ञानिक प्रयोग, मानव स्वास्थ्य अध्ययन और नई तकनीकों का परीक्षण किया जाएगा।

स्टेशन पूरी तरह भारत की स्वदेशी तकनीकों से लैस होगा।


BAS की खासियतें

  1. स्वदेशी लाइफ सपोर्ट सिस्टम (ECLSS): यह अंतरिक्ष यात्रियों को हवा और पानी उपलब्ध कराएगा।
  2. भारत डॉकिंग सिस्टम और भारत बर्थिंग मैकेनिज्म: अंतरिक्ष यानों को स्टेशन से जोड़ने और अलग करने की सुविधा।
  3. स्वचालित हैच सिस्टम: दरवाजों को आसानी से खोलने और बंद करने की तकनीक।
  4. व्यूपोर्ट खिड़कियां: वैज्ञानिक अनुसंधान और अंतरिक्ष यात्रियों के मनोरंजन के लिए।
  5. स्पेस सूट और एयरलॉक: ताकि अंतरिक्ष यात्री स्टेशन से बाहर निकलकर काम कर सकें।
  6. सुरक्षा कवच: रेडिएशन, अत्यधिक तापमान और माइक्रो-मेटियोरॉइड से सुरक्षा।

वैज्ञानिक और व्यावसायिक अवसरों का केंद्र बनेगा BAS

भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन केवल वैज्ञानिक अनुसंधान के लिए नहीं होगा, बल्कि यह भारत को कमर्शियल स्पेस सेक्टर में भी मजबूती देगा।

अनुसंधान: जीव विज्ञान, चिकित्सा, और अंतरिक्ष विज्ञान से जुड़े प्रयोग।

माइक्रोग्रैविटी अध्ययन: मानव शरीर पर कम गुरुत्वाकर्षण के असर को समझना।

अंतरिक्ष पर्यटन: भविष्य में लोग BAS तक यात्रा कर सकेंगे।

वैश्विक सहयोग: विदेशी वैज्ञानिकों और अंतरिक्ष एजेंसियों को भी इसमें भाग लेने का अवसर मिलेगा।

युवा पीढ़ी के लिए प्रेरणा: स्कूल और कॉलेज के छात्र-छात्राओं को अंतरिक्ष विज्ञान से जोड़ने की नई पहल।


भारत मंडपम में आकर्षण का केंद्र बना BAS-01 मॉडल

राष्ट्रीय अंतरिक्ष दिवस के अवसर पर प्रदर्शित BAS-01 का मॉडल 3.8 मीटर चौड़ा और 8 मीटर लंबा था। यह मॉडल न केवल तकनीकी दृष्टि से अद्भुत रहा, बल्कि इसने भारत की भविष्य की अंतरिक्ष महत्वाकांक्षा को भी दुनिया के सामने रखा।

लोगों ने बड़ी संख्या में इस मॉडल को देखा और इसे भारत की अंतरिक्ष यात्रा में अगला ऐतिहासिक पड़ाव बताया। यह अवसर आम जनता के बीच अंतरिक्ष विज्ञान के प्रति उत्साह जगाने वाला साबित हुआ।

गौरतलब है कि भारत का भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन (BAS) न सिर्फ वैज्ञानिक शोध का केंद्र होगा, बल्कि यह भारत को अंतरिक्ष में आत्मनिर्भरता और नई ऊँचाइयों तक पहुंचाएगा। 2028 में इसके पहले हिस्से का प्रक्षेपण और 2035 तक पूरा स्टेशन तैयार होने के बाद भारत उन चुनिंदा देशों में शामिल हो जाएगा, जो अपने दम पर अंतरिक्ष में रिसर्च और तकनीकी विकास कर रहे हैं।

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