बिहार का एक ऐसा सांसद जिसे दुनिया रॉबिन हुड के नाम से जानती थी। एक ऐसा सांसद इसके बारे में कहा जाता है कि 1987 में आई फिल्म प्रतिघात उसी के ऊपर आधारित थी। ‘शेर-ए-बिहार’ की ख्याति पाने वाले उस गोपालगंज के पूर्व सांसद काली प्रसाद पांडेय का शुक्रवार को निधन हो गया। उन्होंने शुक्रवार की रात 9:30 बजे दिल्ली के राम मनोहर लोहिया अस्पताल में अंतिम सांस ली। वह पिछले कुछ महीनों से बीमार चल रहे थे।

“रॉबिनहुड” छवि वाले नेता
काली प्रसाद पांडेय लंबे समय से बीमार चल रहे थे। उनके निधन से पूरे जिले में शोक की लहर है।उनके निधन से बिहार की राजनीति के एक युग का अंत हो गया है, क्योंकि उनकी पहचान केवल राजनेता के रूप में नहीं, बल्कि “रॉबिनहुड” छवि वाले नेता के रूप में भी रही। परिवार में उनकी पत्नी, भाई और बीजेपी एमएलसी आदित्य नारायण पांडेय के अलावा तीन बेटे हैं।
पहली बार निर्दलीय जीत कर विधायक
काली प्रसाद पांडेय गोपालगंज के विशंभरपुर थाना क्षेत्र के रमजीता गांव के रहने वाले थे। युवावस्था में उन्होंने गंडक नदी के आसपास सक्रिय अपराधी गिरोह ‘जंगल पार्टी’ के खिलाफ युवाओं को संगठित किया। 1980 में वे पहली बार गोपालगंज विधानसभा सीट से विधायक बने और यहीं से उनकी सक्रिय राजनीति की शुरुआत हुई।1980 में वे निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में बिहार विधानसभा चुनाव जीतकर विधायक बने।
1984 में जेल में रहते हुए भी निर्दलीय सांसद बने
काली प्रसाद पांडेय की सबसे ऐतिहासिक जीत 1984 के लोकसभा चुनाव में हुई, जब वे जेल में रहते हुए भी निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर मैदान में उतरे और गोपालगंज से सांसद बने। यह जीत उस दौर में खास मानी गई, क्योंकि इंदिरा गांधी की हत्या के बाद पूरे देश में कांग्रेस लहर चल रही थी। इसके बावजूद काली प्रसाद ने भारी मतों से जीत दर्ज की। उन्होंने कांग्रेस उम्मीदवार नगीना राय को रिकॉर्ड मतों से हराया। इस जीत के बाद उनकी छवि ‘शेर-ए-बिहार’ के रूप में बनी। सांसद बनने के बाद उन्होंने कांग्रेस पार्टी जॉइन की और राजीव गांधी के करीबी सहयोगी रहे।
करीब 17 सालों तक एलजेपी के साथ रहे
उनका सफर कांग्रेस तक सीमित नहीं रहा। 2003 में जब तत्कालीन केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान ने लोक जनशक्ति पार्टी बनाई तो वह लोक जनशक्ति पार्टी में शामिल हो गए। तब उन्हें पार्टी का राष्ट्रीय महासचिव, प्रवक्ता और उत्तर प्रदेश का पर्यवेक्षक भी बनाया गया था। हालांकि, करीब 17 सालों के अंतराल के बाद काली पांडे ने अपनी घर वापसी की और 2020 में वह वापस कांग्रेस पार्टी में चले आए। 2020 में ही उन्होंने कांग्रेस के उम्मीदवार के रूप में कुचायकोट से चुनाव लड़ने की कोशिश भी की लेकिन उनको सफलता नहीं मिली।
राजनीतिक जीवन में कई बड़े आरोप लगे
राजनैतिक जीवन में उनके ऊपर कई बडे आरोप भी लगे। 1989 में पटना जंक्शन पर नगीना राय के ऊपर बम से हमला हुआ था। इसका आरोप काली पांडे के ऊपर लगा था। राजनीतिक पंडितों की माने तो काली पांडे के ऊपर कई आरोप लगे, लेकिन कोई भी आरोप साबित नहीं हो पाया। हालांकि पुलिस उनके अपराध पर नकेल कसने की पूरी कोशिश भी करती रही, साक्ष्य भी जुटाती रहे लेकिन उसे कोर्ट में साबित नहीं कर पाई।