गिरिडीह जिले में जून 2023 में हुए पाँच करोड़ रुपये के लूटकांड की गहन जांच और कानूनी लड़ाई के बाद एक बड़ा फर्जीवाड़ा सामने आया है। आयकर विभाग की अनुसंधान शाखा ने गुजरात के नीना शाह और कमलेश रजनीकांत शाह दंपति का पर्दाफाश किया है, जो देशभर में विभिन्न एजेंसियों द्वारा जब्त नकद पर फर्जी दस्तावेज़ों के सहारे दावा पेश कर पैसा हासिल करते थे और उसमें से कमीशन काटकर असली मालिक को बाकी रकम लौटा देते थे।
लूट से जांच तक
21 जून 2023 को गिरिडीह जिले के जमुआ थाना क्षेत्र में एक क्रेटा कार से 5 करोड़ रुपये लूट लिए गए थे। पुलिस ने त्वरित कार्रवाई कर 4.01 करोड़ रुपये बरामद किए। शिकायत कार चालक मयूर सिंह ने दर्ज कराई थी, जिसने बयान में बताया कि पटना स्थित DY Company से नकदी लेकर वह कोलकाता जा रहा था। लेकिन जांच में सामने आया कि पटना में ऐसी कोई कंपनी अस्तित्व में ही नहीं है।
आयकर विभाग की सक्रियता
जमुआ पुलिस ने मामले की जानकारी रांची स्थित आयकर अनुसंधान शाखा को दी। विभाग ने जब्त नकदी को अपने पास जमा करने का अनुरोध किया, लेकिन पुलिस ने इसे सबूत बताते हुए मना कर दिया। इसके बाद आयकर विभाग ने गिरिडीह जिला अदालत का रुख किया। इस बीच नीना शाह ने भी नकदी पर दावा ठोका और कहा कि यह रकम उनके व्यवसाय से जुड़ी है।
कोर्ट में फर्जीवाड़े का भंडाफोड़
लगभग दो वर्षों तक चली 26 सुनवाईयों में आयकर विभाग ने ठोस सबूत पेश किए। जांच से पता चला कि शाह दंपति की कंपनियाँ केवल कागजों पर मौजूद थीं और फर्जी बिक्री दिखाकर करोड़ों रुपये की नकदी को वैध ठहराने का खेल खेला जाता था। नीना शाह ने पूछताछ के दौरान यह स्वीकार भी किया कि एजेंसियों द्वारा जब्त नकदी पर वे फर्जी दस्तावेज़ बनाकर दावा पेश करते हैं और रकम छूटने पर कमीशन काटकर असली मालिक को लौटा देते हैं।
गवाही से खुलासा
कार चालक मयूर सिंह ने भी बयान दिया कि उसे गुजरात से क्रेटा कार के जरिए पाँच करोड़ रुपये नकद कोलकाता ले जाने का निर्देश मिला था। रास्ते में लूट हुई और उसके बाद उसने पुलिस में प्राथमिकी दर्ज कराई। पूछताछ में मयूर ने स्वीकार किया कि यह सारा नेटवर्क गोविंद भाई, करण भाई और जगत सिंह जडेजा के माध्यम से चलता था, जिनके जरिए नकदी एक जगह से दूसरी जगह भेजी जाती थी।
कोर्ट का फैसला
आयकर विभाग की विस्तृत रिपोर्ट और शाह दंपति के फर्जीवाड़े के सबूतों को देखते हुए गिरिडीह जिला न्यायालय के अपर सत्र न्यायाधीश हरिओम कुमार ने 22 अगस्त 2025 को फैसला सुनाया। अदालत ने साफ कहा कि जब्त 4.01 करोड़ रुपये शाह दंपति या उनकी कथित कंपनी M/S MECTEC के नहीं हैं। न्यायालय ने आदेश दिया कि यह रकम आयकर विभाग के सरकारी खाते में जमा कराई जाए।
आयकर विभाग की बड़ी जीत
इस फैसले से न केवल गिरिडीह लूटकांड का सच सामने आया, बल्कि देशभर में नकदी जब्ती पर फर्जी दावे करने वाले एक बड़े गिरोह का भी पर्दाफाश हुआ। शाह दंपति ने खुद भी मान लिया कि उनका कोई वास्तविक व्यापार नहीं है, सबकुछ केवल कागजी है।
👉 अदालत के आदेश के आलोक में जब्त 4.01 करोड़ रुपये अब आयकर विभाग के सरकारी खाते में जमा कराए जाएंगे।
जांच का नेतृत्व धनबाद इकाई ने किया
पूरी जांच और अभियान का समन्वय एवं नेतृत्व आयकर विभाग की अनुसंधान शाखा धनबाद ने किया, क्योंकि गिरिडीह जिला उनके अधिकार-क्षेत्र (jurisdiction) में आता है।

