गयाजी में पिंडदान करने से आत्मा को मोक्ष की प्राप्ति होती है, इसलिए इस स्थान को मोक्ष स्थली भी कहा जाता है। मान्यता है कि गया में भगवान विष्णु स्वयं पितृदेव के रूप में निवास करते हैं। यहां श्राद्ध कर्म और तर्पण विधि करने से व्यक्ति पितृऋण से मुक्त हो जाता है। यहां हर साल लाखों श्रद्धालु आकर अपने पूर्वजों का आत्मा की शांति के लिए पिंडदान करने पहुंचते हैं। यहां आज 6 सितंबर 2025 से पितृमुक्ति के महापर्व पितृपक्ष मेले की शुरुआत हो रही है।

इस बार पितृपक्ष मेला 16 दिनों का होगा
इस बार पितृपक्ष मेला 16 दिनों का होगा। यह 6 सितंबर से शुरू होकर 21 सितंबर तक चलेगा। आश्विन कृष्ण षष्ठी और सप्तमी का श्राद्ध 13 सितंबर को एक ही तिथि में पड़ रहा है। यही कारण है कि इस बार पितृपक्ष मेला 16 दिनों का होगा।
कहां होता है पिंडदान
पितृपक्ष की अवधि में हर तिथि का धार्मिक महत्व अलग-अलग होता है, और इन विशेष तिथियों पर संबंधित पिंडदान वेदियों और धार्मिक स्थलों पर श्रद्धालुओं की भीड़ बढ़ जाती है। पितृपक्ष मेले से संबंधित कुल 55 पिंडदान वेदियाँ हैं, जिनमें से 45 गया में और एक पुनपुन (पटना जिले) में स्थित है। इसके अलावा, 9 तर्पण स्थल भी गया में हैं। महत्वपूर्ण सरोवरों में ब्रह्म सरोवर, रुक्मिणी तालाब, पितामहेश्वर, रामशिला, वैतरणी, सूर्यकुंड, गोदावरी और प्रेतशिला शामिल हैं। साथ ही, चार महत्वपूर्ण घाट—देवघाट, गजाधर घाट, ब्राह्मणी घाट और सीढ़ियां घाट—भी तैयारियों का हिस्सा हैं।
मेले में 15 लाख से अधिक श्रद्धालुओं के पहुंचने की संभावना
हर साल की तरह इस बार भी देश-विदेश से लाखों श्रद्धालु अपने पूर्वजों का पिंडदान और तर्पण करने के लिए गयाजी की पावन भूमि पर जुटेंगे। इस बार पितृपक्ष मेले में 15 लाख से अधिक श्रद्धालुओं के पहुंचने की संभावना है। पिंडदान के लिए आने वाले श्रद्धालुओं के ठहरने और उनकी सुविधा के लिए जिला प्रशासन ने बड़े पैमाने पर इंतज़ाम किए हैं। इस बार 64 सरकारी आवासों में 18,000 श्रद्धालुओं के लिए निःशुल्क ठहरने की व्यवस्था की गई है। वहीं गयाजी के गांधी मैदान में 2,500 क्षमता वाला टेंट सिटी बनाई गई है, जहां निःशुल्क ठहराव मिलेगा। इसके साथ ही सभी आवास स्थलों पर शौचालय, स्नानागार, लाइट, सुरक्षा, भोजन और गंगाजल की आपूर्ति की सुविधा की गई है।
मेले में महाकुंभ जैसी सफाई व्यवस्था
पितृपक्ष मेले में महाकुंभ की तर्ज पर साफ-सफाई की भी व्यवस्था की गई है। शहर और मेला क्षेत्र को 4 जोन और 54 सेक्टर में बांटा गया है। इनमें सफाई कर्मियों को लगाकर सफाई कराई जा रही है। इसके लिए गयाजी नगर निगम ने 30,000 अतिरिक्त सफाईकर्मी तैनात किए हैं। फल्गु नदी की सफाई के लिए ट्रैश क्लीनिंग बोट का उपयोग किया जा रहा है।