Delhi: वक्फ कानून पर आ गया फैसला, सुप्रीम कोर्ट ने कहा-पूरे कानून पर रोक लगाने का मामला नहीं

Neelam
By Neelam
4 Min Read

सुप्रीम कोर्ट ने वक्फ कानून से जुड़े मामले में अहम फैसला सुनाया है। शीर्ष अदालत ने वक्फ कानून से जुड़ी कुछ धाराओं पर रोक लगा दी है। अदालत ने वक्फ कानून की धारा 3 और धारा 4 पर रोक लगा दी है। सुनवाई के बाद अदालत ने कहा कि हमारे पास पूरे कानून पर रोक लगाने का अधिकार नहीं है।

केवल दुर्लभतम मामलों में ही रोक

वक्फ कानून पर सुप्रीम कोर्ट ने मुस्लिम पक्ष की कुछ दलीलें तो मान ली है, लेकिन पूरे कानून पर रोक लगाने से इनकार कर दिया। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि कानून पर केवल दुर्लभतम मामलों में ही रोक लगाई जा सकती है। कोर्ट ने यह भी कहा कि राज्य वक्फ बोर्डों और केंद्रीय वक्फ परिषदों में गैर-मुस्लिमों की संख्या तीन से अधिक नहीं हो सकती। अपना फैसला सुनाते हुए कोर्ट ने कहा कि हमने प्रत्येक धारा को दी गई चुनौती पर प्रथम दृष्टया विचार किया है और पाया है कि पूरे कानून पर रोक लगाने का कोई मामला नहीं बनता। 

5 वर्ष तक इस्लाम का पालन करने की शर्त पर रोक 

सीजेआई बीआर गवई की अध्यक्षता वाली सुप्रीम कोर्ट बेंच ने साफ किया कि वक्फ संपत्तियों को लेकर कलेक्टर के अधिकारों पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि कलैक्टर का फैसला अंतिम फैसला नहीं होगा। इसके साथ ही वक्फ़ संशोधन अधिनियम 2025 की उस प्रावधान पर रोक लगा दी है, जिसमें वक्फ़ बनाने के लिए किसी व्यक्ति का 5 वर्षों तक इस्लाम का अनुयायी होना आवश्यक बताया गया था। अदालत ने कहा कि यह रोक तब तक लागू रहेगी जब तक राज्य सरकारें यह निर्धारित करने के लिए नियम नहीं बना लेतीं कि कोई व्यक्ति इस्लाम का अनुयायी है या नहीं।

कौन-से प्रावधान स्थगित हुए:

धारा 3(r): यह शर्त कि किसी व्यक्ति को वक़्फ़ बनाने के लिए कम से कम पाँच वर्षों तक इस्लाम का अनुयायी होना चाहिए। अदालत ने कहा कि जब तक नियम नहीं बनते, यह शर्त मनमानी हो सकती है और स्थगित रहेगी।

धारा 2(c) का उपबंध: जब तक नामित अधिकारी की रिपोर्ट दाख़िल नहीं होती, संपत्ति को वक़्फ़ संपत्ति न माना जाए – यह प्रावधान स्थगित।

धारा 3C: कलेक्टर को संपत्ति अधिकार तय करने का अधिकार देना शक्तियों के पृथक्करण का उल्लंघन है। अंतिम निर्णय तक संपत्ति अधिकार प्रभावित नहीं होंगे और वक़्फ़ को कब्ज़े से वंचित नहीं किया जाएगा।

गैर-मुस्लिम सदस्यों की सीमा: वक्फ बोर्ड में 3 से अधिक गैर-मुस्लिम सदस्य नहीं होंगे और कुल संख्या 4 से अधिक नहीं हो सकती।

इसी साल अप्रैल में संसद से मिली थी मंजूरी

बता दे कि वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 को 8 अप्रैल को अधिसूचित किया गया था, इसके पहले 5 अप्रैल को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने इसकी मंज़ूरी दी थी। लोकसभा ने 3 अप्रैल को और राज्यसभा ने 4 अप्रैल को इसे मंजूरी दी थी। संसद से जैसे ही इसको मंजूरी मिली। उसी के बाद इसको लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई थी। अंतरिम आदेश सुरक्षित रखने से पहले सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने लगातार तीन दिनों तक सुनवाई की। इसमें उन वकीलों की दलीलें सुनी गईं जो संशोधित वक्फ कानून को चुनौती दे रहे हैं, और केंद्र सरकार की तरफ से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता की दलीलें भी सुनी गईं।

Share This Article