देशभर में धूमधाम से मनाई जा रही विश्वकर्मा पूजा, जानें शुभ मुहूर्त, पूजा विधि, मंत्र और कथा

KK Sagar
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नई दिल्ली। 17 सितंबर 2025 को पूरे देशभर में विश्वकर्मा पूजा बड़े धूमधाम से मनाई जा रही है। यह पर्व भगवान विश्वकर्मा को समर्पित है, जिन्हें सृष्टि का पहला इंजीनियर और शिल्पकार माना जाता है। इस दिन खासकर कारखानों, फैक्ट्रियों, दुकानों और विभिन्न व्यवसायों में काम करने वाले लोग अपने औजारों और मशीनों की विशेष पूजा करते हैं।

भगवान विश्वकर्मा का महत्व

हिंदू धर्म में भगवान विश्वकर्मा को सृष्टि का शिल्पकार माना गया है। मान्यता है कि उन्होंने देवताओं के दिव्य भवन, रथ, अस्त्र-शस्त्र और यहां तक कि पौराणिक नगरियों जैसे द्वारका, इन्द्रप्रस्थ और स्वर्ग लोक का भी निर्माण किया। इसी कारण उन्हें देवशिल्पी और वास्तु देवता कहा जाता है।

पूजा का शुभ मुहूर्त

पंचांग के अनुसार इस वर्ष विश्वकर्मा पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह 8:15 बजे से दोपहर 12:50 बजे तक है। इसी समय औजारों, मशीनों और कार्यस्थलों पर विशेष पूजा-अर्चना की जा रही है।

पूजा विधि

  1. सुबह स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
  2. पूजा स्थल और औजारों की सफाई कर उन्हें सजाएँ।
  3. भगवान विश्वकर्मा की प्रतिमा/चित्र को स्थापित कर दीपक, धूप, फूल और प्रसाद अर्पित करें।
  4. औजारों और मशीनों पर रोली-चावल से तिलक लगाएँ और पुष्प चढ़ाएँ।
  5. विश्वकर्मा भगवान के मंत्रों का जाप करें और आरती करें।

मंत्र और आरती

मंत्र:
“नमस्ते विश्वकर्माय, त्वमेव कर्तृता सदा। शिल्पं विधाय सर्वत्र, त्वं विश्वेशो नमो नमः।”

आरती:
“ॐ जय श्री विश्वकर्मा प्रभु, जय श्री विश्वकर्मा…”

कथा और मान्यताएँ

पुराणों के अनुसार भगवान विश्वकर्मा ने न सिर्फ देवताओं के महल और नगर बनाए, बल्कि उनके दिव्य अस्त्र-शस्त्र का निर्माण भी किया। उन्हें “सृष्टि का प्रथम अभियंता (Engineer)” कहा जाता है। मान्यता है कि इस दिन की पूजा से व्यवसाय में तरक्की और कार्यों में सफलता मिलती है।

देशभर में उत्सव का माहौल

आज के दिन फैक्ट्रियों और वर्कशॉप्स में मशीनें बंद रखकर पूजा की जा रही है। दुकानों, कार्यालयों और उद्योग धंधों में विशेष सजावट की गई है। लोग प्रसाद वितरण और भोग लगाकर भगवान विश्वकर्मा से अपने कार्य में समृद्धि, सफलता और सुरक्षा की प्रार्थना कर रहे हैं।

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