बिहार में विधानसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान कर दिया गया है। चुनाव की तारीखें घोषित होने के बाद भारतीय निर्वाचन आयोग जोर-शोर से चुनावी तैयारियों में जुटा हुआ है। राज्य में शांतिपूर्ण चुनाव संपन्न कराने के लिए केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल (सीएपीएफ) की एक दर्जन से अधिक बटालियन तैनात की गई हैं। गृह मंत्रालय ने राज्य में कुल 214 बटालियन भेजने की मंजूरी दी है, जिसमें लगभग 1.8 लाख जवान चुनाव सुरक्षा में सक्रिय रहेंगे। इसके अलावा, चुनाव आयोग ने 38 पुलिस पर्यवेक्षक नियुक्त किए हैं, जो चुनाव प्रक्रिया की निगरानी करेंगे। इस बीच चुनाव आयोग ने ‘पर्दानशीं’ यानी बुर्का या पर्दा पहनने वाली महिलाओं के मतदान के दौरान सुविधा को ध्यान में रखते हुए कई कदम उठाए हैं।

आंगनबाड़ी सेविकाओं को मिली बड़ी जिम्मेदारी
चुनाव में अक्सर घूंघटवाली और पर्दानशीं महिलाएं वोट करने पहुंचती हैं, जिससे पहचान में मुश्किलें पैदा होती हैं। ग्रामीण इलाकों में महिला वोटरों की पहचान करना हमेशा चुनौतीपूर्ण रहा है। इस बार इस समस्या का समाधान आंगनबाड़ी सेविकाओं को बूथों पर तैनात करके किया जाएगा। 90 हजार बूथों पर सेविकाएं सुनिश्चित करेंगी कि पर्दा और घूंघट में आए महिला वोटरों की सही पहचान हो। इसमें हिंदू और मुस्लिम दोनों समुदाय की महिलाएं शामिल हैं।
विशेष रूप से दिया गया प्रशिक्षण
आंगनबाड़ी सेविकाओं को जिला स्तर पर विशेष प्रशिक्षण दिया गया है। प्रशिक्षण में उन्हें बताया गया कि महिला वोटरों से कैसे संपर्क करना है, किन पहचान पत्रों का मिलान करना है और व्यवहार ऐसा रखना है कि किसी को असुविधा न हो। यह व्यवस्था यह सुनिश्चित करेगी कि महिला वोटरों को अपने मतदान के अधिकार में किसी प्रकार की बाधा न हो।
बीजेपी ने उठाई थी जांच की मांग
बता दें कि इससे पहले, बिहार भाजपा अध्यक्ष दिलीप जायसवाल ने बीते शनिवार को निर्वाचन आयोग से विधानसभा चुनाव एक या दो चरणों में कराने और मतदान केंद्रों पर बुर्का पहनकर पहुंचने वाली महिलाओं के चेहरे का मिलान मतदाता पहचान पत्र से करने की मांग की थी। उन्होंने मुख्य निर्वाचन आयुक्त ज्ञानेश कुमार के नेतृत्व में बिहार दौरे पर गई आयोग की टीम से मुलाकात करने के बाद कहा था, हमने आयोग से आग्रह किया है कि चुनाव एक या दो चरणों में कराए जाएं। चुनाव प्रक्रिया को अधिक खींचने की आवश्यकता नहीं है। साथ ही यह भी जरूरी है कि मतदान करने आने वाले मतदाताओं, खासकर बुर्का पहनने वाली महिलाओं की पहचान, उनके चेहरा का पहचानपत्र से मिलान करके सत्यापित की जाए, ताकि केवल वास्तविक मतदाता ही मतदान कर सकें।