बिहार के नवादा जिले में रजौली के पूर्व विधायक प्रकाशवीर को कोर्ट से बड़ा झटका लगा है। राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) छोड़कर जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) में शामिल हुए प्रकाश वीर को अदालत ने एक सप्ताह के भीतर आत्मसमर्पण करने का आदेश दिया है। साथ ही 7 दिन में सरेंडर करने का आदेश दिया है।

निचली अदालत की सजा बरकरार
नवादा के तृतीय जिला एवं सत्र न्यायाधीश सह एमपी-एमएलए स्पेशल सेशन कोर्ट के न्यायाधीश सुभाषचंद्र शर्मा की अदालत ने प्रकाश वीर की अपील को खारिज करते हुए निचली अदालत द्वारा सुनाई गई सजा को बरकरार रखा है। अदालत ने 29 जुलाई 2022 को निचली अदालत द्वारा सुनाई गई छह माह की साधारण कारावास और एक हजार रुपये के अर्थदंड की सजा को सही ठहराया है।
आचार संहिता उल्लंघन का मामला
यह मामला वर्ष 2005 में आचार संहिता उल्लंघन के रजौली थाना कांड संख्या–111/2005 से जुड़ा है। उस समय प्रकाशवीर लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) से रजौली विधानसभा चुनाव लड़ रहे थे। चुनाव प्रचार के दौरान रजौली थाना प्रभारी शिवनंदन राम ने पाया कि एक इलेक्ट्रिक पोल और पीपल के पेड़ के बीच रामविलास पासवान की तस्वीर वाला पोस्टर बिना अनुमति लगाया गया था। इस पर रजौली थाने में एफआईआर संख्या 111/2005 के तहत बिहार लोक संपत्ति विरूपण अधिनियम की धारा 3(1) के अंतर्गत मामला दर्ज किया गया।
चुनावी माहौल मे बढ़ सकती हैं मुश्किलें
कोर्ट के इस फैसले के बाद राजनीतिक गलियारों में हलचल तेज हो गई है। चुनावी माहौल के बीच इस निर्णय से प्रकाशवीर की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। आने वाले दिनों में इसका असर उनके राजनीतिक भविष्य पर भी पड़ सकता है। अब सबकी नजर इस बात पर टिकी है कि विधायक सात दिनों के भीतर आत्मसमर्पण करते हैं या इसके खिलाफ ऊपरी अदालत का दरवाजा खटखटाते हैं। फिलहाल यह फैसला उनके लिए एक बड़ा झटका माना जा रहा है।

