घाटशिला उपचुनाव: विरासत, प्रतिष्ठा और स्थानीय मुद्दों का तीखा त्रिकोणीय मुकाबला

Manju
By Manju
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डिजिटल डेस्क। जमशेदपुर : पूर्वी सिंहभूम जिले की घाटशिला विधानसभा सीट पर होने वाला उपचुनाव एक रोमांचक त्रिकोणीय जंग का गवाह बनने जा रहा है। सत्तारूढ़ झारखंड मुक्ति मोर्चा, भारतीय जनता पार्टी और जयराम कुमार महतो के नेतृत्व वाली झारखंड लोकतांत्रिक क्रांतिकारी मोर्चा ने अपने-अपने उम्मीदवार उतारकर मुकाबले को और दिलचस्प बना दिया है। यह उपचुनाव झामुमो विधायक और पूर्व शिक्षा मंत्री रामदास सोरेन के निधन के कारण हो रहा है। मतदान 11 नवंबर 2025 को होगा और मतगणना 14 नवंबर 2025 को होगी।

विरासत और प्रतिष्ठा की जंग

इस उपचुनाव में दो बड़े राजनीतिक परिवारों की अगली पीढ़ी आमने-सामने है। झामुमो ने दिवंगत रामदास सोरेन के बेटे सोमेश सोरेन को मैदान में उतारा है, जो अपने पिता की राजनीतिक विरासत को संभालने की कोशिश करेंगे। दूसरी ओर, भाजपा ने पूर्व मुख्यमंत्री चंपाई सोरेन के बेटे बाबूलाल सोरेन पर फिर से भरोसा जताया है, जो 2024 के विधानसभा चुनाव में रामदास सोरेन से लगभग 22,000 वोटों से मिली हार का हिसाब चुकता करना चाहते हैं।

जेएलकेएम ने बढ़ाई सरगर्मी

जेएलकेएम ने रामदास मुर्मू को अपना उम्मीदवार बनाकर मुकाबले में नया मोड़ ला दिया है। 2024 के विधानसभा चुनाव में जेएलकेएम ने बोकारो, रामगढ़, गोमिया, धनबाद और गिरिडीह जैसी सीटों पर राष्ट्रीय गठबंधनों के समीकरण बिगाड़े थे। रामदास मुर्मू 2024 में इस सीट पर तीसरे स्थान पर रहे थे। पार्टी का दावा है कि वह इस बार पूरे दमखम के साथ चुनाव लड़ेगी।

स्थानीय बनाम बाहरी का मुद्दा

जेएलकेएम उम्मीदवार रामदास मुर्मू ने ‘स्थानीय बनाम बाहरी’ का मुद्दा जोर-शोर से उठाया है। उनका कहना है कि घाटशिला को ऐसे नेता की जरूरत है जो स्थानीय समस्याओं को समझे और उनका समाधान करे। घाटशिला अनुमंडल के निवासी मुर्मू भौतिकी में स्नातकोत्तर और बीएड डिग्रीधारक हैं, और वह स्थानीय स्तर पर एक कोचिंग सेंटर चलाते हैं। वहीं, भाजपा के बाबूलाल सोरेन सरायकेला-खरसावां जिले से और झामुमो के सोमेश सोरेन जमशेदपुर से बताए जाते हैं, जिससे यह मुद्दा और गर्म हो गया है।

नामांकन और जोरदार प्रचार

नामांकन दाखिल करने की अंतिम तारीख 21 अक्टूबर 2025 थी। झामुमो के सोमेश सोरेन और भाजपा के बाबूलाल सोरेन ने नामांकन दाखिल कर शक्ति प्रदर्शन किया। सोमेश के नामांकन के दौरान मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन स्वयं मौजूद थे, जबकि बाबूलाल के साथ पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी, आजसू प्रमुख सुदेश महतो और एनडीए के कई बड़े नेता नजर आए। दोनों पार्टियां प्रचार में कोई कसर नहीं छोड़ रही हैं। झामुमो ने हेमंत सोरेन समेत 40 स्टार प्रचारकों की सूची जारी की है।

क्यों खास है यह उपचुनाव?

घाटशिला उपचुनाव न केवल स्थानीय स्तर पर महत्वपूर्ण है, बल्कि इसके नतीजे झारखंड की राजनीति पर गहरा असर डाल सकते हैं। यह देखना रोचक होगा कि जनता इस हाई-वोल्टेज मुकाबले में किसे अपना नेता चुनती है।

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