महागठबंधन में टिकट बंटवारे पर विवाद का “द एंड” हो गया है। महागठबंधन ने गुरुवार को अपने मुख्यमंत्री और डिप्टी सीएम के फेस की घोषणा कर दी. राजस्थान के पूर्व सीएम और कांग्रेस के सीनियर लीडर अशोक गहलोत ने तेजस्वी यादव को सीएम फेस बनाने का ऐलान करने के साथ-साथ मुकेश सहनी को डिप्टी सीएम का चेहरा बताया। इसके साथ ही विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) के सुप्रीमो मुकेश सहनी की मनचाही मुराद भी पूरी हो गई।

महागठबंधन के लिए क्यों जरूरी बने मुकेश सहनी?
अशोक गहलोत ने गुरूवार को पटना में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री के चेहरे का ऐलान कर दिया। अब बड़ा सवाल ये उठ रहा है कि आखिर राष्ट्रीय जनता दल और कांग्रेस ने किस मजबूरी में मुकेश सहनी को लेकर इतना बड़ा फैसला किया है। माना जा रहा है कि सहनी को महागठबंधन की ओर से उपमुख्यमंत्री बनाने का वादा इसलिए किया गया क्योंकि इससे बिहार के ईबीसी (अति पिछड़ी जाति) वोटरों का एक बड़ा हिस्सा उसके पाले में आ सकता है। राज्य में ईबीसी वर्ग में शामिल मल्लाह जाति के वोटरों की कई सीटों पर खासी मौजूदगी है।
ईबीसी वोटरों को पाले में लाने का बड़ा दांव
मुकेश सहनी मल्लाह जाति का प्रतिनिधित्व करते हैं। सहनी एक ऐसे समुदाय का प्रतिनिधित्व करते हैं जो बिहार की आबादी का लगभग 2.5 फीसदी है। आंकड़ों में यह छोड़ा लग सकता है, लेकिन राजनीतिक रूप से यह जाति प्रभावशाली है जो गंगा के किनारे कई जिलों में फैला हुआ है। ऐसे में डिप्टी सीएम के रूप में मुकेश सहनी के नाम का ऐलान कर महागठबंधन पिछले और हाशिए पर खड़े समुदायों के बीच अपनी अपील को मजबूत करने की कोशिश कर रहा है।

