झारखंड के हजारीबाग, गिरिडीह और बोकारो जिले के प्रवासी मजदूरों का विदेश में फंसने का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है। एक बार फिर झारखंड के 48 मजदूर अफ्रीका के ट्यूनीशिया में फंसे हुए हैं। बताया जा रहा है कि बीते तीन माह से कंपनी की ओर से मजदूरी का भुगतान नहीं किया गया, जिसके कारण मजदूरों के सामने खाने-पीने का संकट गहराता जा रहा है।
वहां फंसे मजदूरों ने एक वीडियो संदेश जारी कर अपनी पीड़ा साझा की है। उन्होंने कहा —
“हम यहां बहुत बुरी हालत में हैं। कंपनी ने हमारा वेतन रोक दिया है, और हमारे पास खाने तक के पैसे नहीं बचे हैं। हम बस किसी तरह अपने घर वापस लौटना चाहते हैं।”
मजदूरों ने अपने बकाया वेतन के भुगतान और वतन वापसी की मांग भारत सरकार से की है।
🔹 सामाजिक कार्यकर्ता ने सरकार से हस्तक्षेप की मांग की
प्रवासी श्रमिकों के मुद्दे पर लंबे समय से काम कर रहे सामाजिक कार्यकर्ता सिकंदर अली ने केंद्र और राज्य सरकार से मजदूरों की सकुशल वतन वापसी के लिए कूटनीतिक पहल की अपील की है। उन्होंने कहा कि यह कोई पहला मामला नहीं है जब झारखंड के मजदूर विदेश जाकर ऐसी स्थिति में फंसे हों।
सिकंदर अली ने कहा —
“कई बार प्रवासी मजदूर ज्यादा पैसे कमाने की लालच में विदेश जाकर फंस चुके हैं। काफी मशक्कत के बाद उनकी वतन वापसी कराई जाती है, फिर भी मजदूर पुरानी घटनाओं से सबक नहीं लेते।”
उन्होंने यह भी याद दिलाया कि पिछले वर्ष 25 अप्रैल 2025 को साउथ अफ्रीका के नाइजर में बगोदर के पांच मजदूरों का अपहरण हुआ था — संजय महतो, चंद्रिका महतो, राजू महतो, फलजीत महतो और उत्तम महतो — जिनका अब तक कोई पता नहीं चल सका है।
उन्होंने कहा कि सरकार को झारखंड में रोजगार की ठोस व्यवस्था करनी चाहिए ताकि मजदूरों को पलायन के लिए मजबूर न होना पड़े।
🔹 ट्यूनीशिया में फंसे मजदूरों की सूची
📍 हजारीबाग जिले से 19 मजदूर (विष्णुगढ़ प्रखंड से अधिकांश)
अमरदीप चौधरी (ऊंचाघाना), जिवाधन महतो (ऊंचाघाना), धानेश्वर महतो (ऊंचाघाना), जागेश्वर कुमार महतो (ऊंचाघाना), गोविंद कुमार महतो (ऊंचाघाना), खिरोधर महतो (ऊंचाघाना), नागेंद्र कुमार महतो (ऊंचाघाना), कैलाश महतो (ऊंचाघाना), नीलकंठ महतो (ऊंचाघाना), अनंतलाल महतो (बंदखारो), खुशलाल महतो (बंदखारो), जगतपाल महतो (बलकमक्का), मुकेश कुमार (खरकी), मंटू महतो (ज्ञानगढ़ा), गंगाधर महतो (मुरगामो), मुकेश कुमार (चानो), दिनेश तुरी (खरना), देवेंद्र ठाकुर (खरना), शंकर घांसी (खेदाडीह)।
📍 गिरिडीह जिले से 14 मजदूर
बगोदर से: नंदलाल महतो (माहुरी), संतोष महतो (अडवारा), गुरुचरण महतो (बेको), मनोज कुमार मंडल (दोंदलो), खुबलाल महतो (दोंदलो), अशोक कुमार (मुंडरो)।
सरिया से: झंडू महतो (कोसी), सेवा महतो (कोसी), मुरली मंडल (उलीबार), सुखदेव सिंह (लोवाबार)।
डुमरी से: संजय कुमार (जरूवाडीह)।
पिरटांड से: संजय कुमार महतो (खुखरा)।
गिरिडीह से: सुनील टूड्डू (बेरागढ़ा खुर्द), मिरुलाल हसदा (बेरागढ़ा खुर्द)।
📍 बोकारो जिले से 15 मजदूर
चंद्रपुरा से: अजय कुमार (फतेहपुर), अनिल कुमार (फतेहपुर), गोपाल महतो (खलचो)।
पेटरवार से: राजेश करमाली (पेटरवार)।
गोमिया से: लालू करमाली (चिलगो), जगन्नाथ महतो (चिलगो), रूपलाल महतो (चुन्नू महुआटांड़), दीपक सिंह (तिसरी), कारु सिंह (तिसरी), जगन्नाथ महतो (सीधाबारा), बिरसाही तुरी (सीधाबारा), सुबोध मरांडी (तिसरी), मनोज कुमार रविदास (करी), खेदन सिंह (क्रुकनालो), सुखदेव महतो (तिसरी)।
🔹 मजदूरों के भविष्य पर सवाल
यह घटना न केवल मजदूरों की सुरक्षा पर सवाल खड़ा करती है बल्कि विदेशी ठेकेदार कंपनियों की जवाबदेही पर भी गंभीर चिंतन की मांग करती है। बार-बार मजदूरों का इस तरह विदेश में फंसना यह दिखाता है कि प्रवासी श्रमिकों के लिए कोई स्थायी नीति नहीं बन पाई है।
सामाजिक कार्यकर्ताओं ने केंद्र और राज्य सरकार से आग्रह किया है कि वे ट्यूनीशिया में फंसे मजदूरों की जल्द से जल्द वतन वापसी सुनिश्चित करें और ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकने के लिए ठोस कदम उठाएं।


 
			 
			 
                                 
                             