डिजिटल डेस्क/कोलकाता : कलकत्ता हाईकोर्ट ने दलबदल विरोधी कानून के तहत एक ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए तृणमूल कांग्रेस नेता मुकुल राय की पश्चिम बंगाल विधानसभा की सदस्यता तत्काल प्रभाव से रद्द कर दी है। जस्टिस देबांग्शु बसाक और जस्टिस मोहम्मद शब्बर रशीदी की खंडपीठ ने विपक्ष के नेता सुवेंदु अधिकारी और भाजपा विधायक अंबिका राय द्वारा दायर याचिकाओं पर यह निर्णय दिया। यह देश में अपनी तरह का पहला मामला है, जहां किसी कोर्ट ने दलबदल विरोधी कानून के आधार पर किसी विधायक की सदस्यता को निरस्त किया है।
कोर्ट ने विधानसभा अध्यक्ष बिमान बनर्जी के उस फैसले को भी खारिज कर दिया, जिसमें उन्होंने मुकुल राय के खिलाफ दलबदल के सबूतों को 100% नहीं मानते हुए कार्रवाई से इनकार कर दिया था। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि स्पीकर का ‘सौ प्रतिशत सबूत का तर्क सही नहीं है। राय 2017 में टीएमसी छोड़कर भाजपा में शामिल हुए थे और मई 2021 में भाजपा के टिकट पर कृष्णानगर उत्तर सीट से विधायक बने थे। हालांकि, वह 11 जून 2021 को अपने बेटे के साथ टीएमसी में लौट आए थे, लेकिन विधायक पद से इस्तीफा नहीं दिया था।
खंडपीठ ने अपने फैसले में मुकुल राय के तृणमूल भवन जाने की तस्वीरों और वीडियो, और मीडिया रिपोर्टों पर उनके मौन को महत्वपूर्ण माना। कोर्ट ने कहा कि मुकुल द्वारा सबूतों से इनकार न करने को कानूनन सच माना जा सकता है। इसके अतिरिक्त, कोर्ट ने मुकुल राय को लोक लेखा समिति का चेयरमैन बनाने के विधानसभा अध्यक्ष के फैसले को भी गलत ठहराया। हालांकि, चूंकि 2026 में विधानसभा चुनाव होने हैं, इसलिए सीट पर कोई उपचुनाव नहीं होगा।

