20 वर्षों से बिहार राजनीति के केंद्र में नीतीश कुमार — दबदबा बरकरार, आज फिर इतिहास रचने को तैयार | एक विश्लेषण

KK Sagar
3 Min Read
नितीश कुमार

बिहार की राजनीति में पिछले दो दशकों से एक नाम लगातार चर्चा के केंद्र में बना हुआ है—नीतीश कुमार। आज जब वे एक बार फिर मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने जा रहे हैं, तो यह सिर्फ सत्ता परिवर्तन का क्षण नहीं, बल्कि उस राजनीतिक यात्रा की निरंतरता है जिसने बिहार की दशा-दिशा दोनों को गहराई से प्रभावित किया है।

सुशासन से लेकर सामाजिक संतुलन तक — नीतीश की पहचान बनी ‘स्थिरता का प्रतीक’

बीते 20 वर्षों में नीतीश कुमार ने अपने शासन मॉडल को “सुशासन” के रूप में स्थापित किया। सड़क, बिजली, शिक्षा और कानून-व्यवस्था पर उनका काम उनकी राजनीतिक मजबूती का आधार बना।
महिलाओं और पिछड़े वर्गों में उनकी पकड़ मजबूत है — शराबबंदी, साइकिल योजना, कस्तूरबा विद्यालय जैसी योजनाओं ने उन्हें एक भरोसेमंद नेता के रूप में स्थापित किया।

गठबंधन बदलते रहे, लेकिन केंद्र में हमेशा रहे नीतीश

बिहार की राजनीति में गठबंधन में उथल-पुथल आम बात रही है, लेकिन इस पूरे कालखंड में नीतीश कुमार ही सत्ता समीकरणों के धुरी बने रहे।
एनडीए हो या महागठबंधन — हर राजनीतिक समीकरण उनके इर्द-गिर्द घूमता रहा। उनकी यही “राजनीतिक फुर्ती” उन्हें बाकी नेताओं से अलग करती है और उन्हें एक मास्टर स्ट्रैटेजिस्ट के रूप में पहचान दिलाती है।

वोट बैंक पर गहरी पकड़

लव-कुश (कुशवाहा-कोएरी) समाज सहित कई पिछड़े वर्गों में नीतीश की मजबूत स्वीकार्यता रही है।
प्रदेश में एंटी-इंकम्बेंसी का असर भी उनके सामने फीका ही रहा — जो उनके 20 साल के लंबे प्रभाव का सबूत है।

चुनौतियाँ भी कम नहीं

हालांकि उनकी ताकत के साथ चुनौतियाँ भी जुड़ी हैं।

नए युवाओं का उभार

बार-बार के गठबंधन बदलने पर उठते सवाल

राजनीतिक दबाव और सीमाएँ
कुछ विश्लेषकों का मानना है कि यह दौर उनकी राजनीतिक यात्रा का सबसे कठिन चरण भी हो सकता है। लेकिन इसके बावजूद वे बिहार राजनीति के सबसे प्रभावशाली चेहरों में कायम हैं।

आज के शपथ-ग्रहण का महत्व

आज का दिन न सिर्फ एक और राजनीतिक अध्याय है, बल्कि यह बताता है कि बिहार की राजनीति अब भी नीतीश कुमार के नेतृत्व और व्यक्तित्व के प्रभाव से मुक्त नहीं है।
20 साल से वे राज्य की सरकार, विपक्ष और गठबंधन—हर स्तर पर केंद्रीय भूमिका निभाते रहे हैं, और आज का शपथ-ग्रहण फिर साबित करता है कि वे बिहार के राजनीतिक परिदृश्य के सबसे स्थायी और निर्णायक चेहरा बने हुए हैं।

Share This Article
उत्कृष्ट, निष्पक्ष, पारदर्शिता और ईमानदारी - पत्रकारिता की पहचान है k k sagar....✍️....