रांची। जमशेदपुर पश्चिमी के विधायक सरयू राय ने धनबाद में फैले कोयला माफिया तंत्र पर कड़ी टिप्पणी करते हुए कहा कि इस पूरे नेटवर्क पर लगाम लगाना केवल ईडी के बूते की बात नहीं है। उनके अनुसार ईडी आर्थिक अनियमितताओं की जांच कर सकती है, अवैध धन जब्त कर सकती है और मनी लॉन्ड्रिंग के प्रमाण उजागर कर सकती है, लेकिन राजनीतिक हस्तक्षेप और प्रशासनिक संरक्षण के चलते कोयला माफियाओं की जड़ पर अकेले ईडी प्रहार नहीं कर सकती।
राजनीतिक और प्रशासनिक संरक्षण का बड़ा आरोप
सरयू राय ने कहा कि धनबाद के कोयला माफिया की पहुंच सीधे केंद्र और राज्य सरकार के प्रभावशाली तंत्र तक है। कई राजनीतिक पदाधिकारी और प्रशासनिक अधिकारी इनकी गतिविधियों से जुड़े हुए हैं। उन्होंने कहा कि धनबाद जिला प्रशासन कोयला माफिया के नियंत्रण में है और यहां तक कि झारखंड सरकार के सचिवालय तक इनके प्रभाव का दायरा फैला हुआ है।
उन्होंने आरोप लगाया कि विधानसभा में सवाल उठाए जाने और प्रमाण दिए जाने के बावजूद संबंधित विभागों के जवाब हमेशा कोयला माफिया के हितों की रक्षा करने वाले होते हैं।
छापेमारी के बाद भी खुला प्रचार–प्रसार
सरयू राय के अनुसार ईडी जिन माफियाओं के ठिकानों पर छापेमारी कर अवैध कारोबार के प्रमाण जुटाती है और काला धन जब्त करती है, वही माफिया उसके बाद अखबारों में पूरे पेज का विज्ञापन देकर राजनीतिक दलों से संबंधों का प्रचार करते हैं और यहां तक कि उन्हीं दलों के टिकट पर चुनाव लड़ने की घोषणा तक कर देते हैं।
बीसीसीएल अधिकारियों की मिलीभगत का आरोप
उन्होंने बीसीसीएल पर भी निशाना साधते हुए कहा कि यह केंद्र सरकार का उपक्रम होने के बावजूद इसके वरीय अधिकारियों की मिलीभगत कोयला माफियाओं के साथ है। उन्होंने कहा कि राजनीतिक आकाओं के संरक्षण में चल रहा यह गठजोड़ अवैध खनन तंत्र को और ताकत देता है।
समाधान के लिए एसआईटी गठन की मांग
सरयू राय ने स्पष्ट कहा कि कोयला माफिया के साम्राज्य को समाप्त करने के लिए ईडी के साथ-साथ केंद्र और राज्य सरकारों की प्रशासनिक इकाइयों को भी संयुक्त रूप से अवैध खनन क्षेत्र में उतरना होगा। इसके लिए एसआईटी (स्पेशल इंवेस्टिगेशन टीम) का गठन जरूरी है।
उनके अनुसार एक समन्वित और बहु-स्तरीय अभियान के बिना धनबाद में कोयला माफिया पर प्रभावी नकेल कसना संभव नहीं है।

