बिहार विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को मिली करारी हार का साइड इफेक्ट दिखने लगा है। कांग्रेस ने अपने सात नेताओं को 6 साल के लिए पार्टी कांग्रेस की प्राथमिक सदस्यता से निष्कासित कर दिया है। पार्टी ने उन नेताओं पर कांग्रेस पार्टी के मूल सिद्धांतों, अनुशासन और संगठनात्मक मर्यादा के प्रति शिथिल रवैया अपनाने तथा पार्टी-प्लेटफ़ॉर्म के बाहर लगातार अवांछित व भ्रामक बयान जारी करने का आरोप लगाया है।

कांग्रेस अनुशासन समिति ने ये कार्रवाई की है। कांग्रेस की अनुशासन समिति के अध्यक्ष कपिलदेव प्रसाद यादव की ओर से जारी आदेश में कहा गया है कि संबंधित नेताओं से प्राप्त स्पष्टीकरण समिति को संतोषजनक नहीं लगा। उनके कार्य पार्टी अनुशासन उल्लंघन के पांच मानकों में से तीन के अंतर्गत स्पष्ट रूप से आते हैं।
कार्रवाई के बाद दिल्ली पहुंचे बागी नेता
प्रदेश अनुशासन समिति की ओर से सात नेताओं को छह वर्ष के लिए निष्कासित किए जाने के बाद सियासी तापमान अचानक बढ़ गया है और बागी गुट खुलकर मैदान में आ गया है। कार्रवाई के तुरंत बाद बागी नेता दिल्ली रवाना हो गए, जहां वे राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खरगे से मुलाकात कर प्रदेश नेतृत्व के खिलाफ शिकायत दर्ज करने वाले हैंय़ ऐसे में बिहार विधानसभा चुनाव परिणामों के बाद कांग्रेस में शुरू हुआ असंतोष अब खुले टकराव का रूप लेता दिखाई दे रहा है।
इन नेताओं पर गिरी गाज
जिन पांच लोगों को पार्टी से निष्कासित किया गया है, उनमें कांग्रेस सेवा दल के पूर्व उपाध्यक्ष आदित्य पासवान, प्रदेश कांग्रेस के पूर्व उपाध्यक्ष शकीलुर रहमान, किसान कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राज कुमार शर्मा, प्रदेश युवा कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राज कुमार राजन, अति पिछड़ा विभाग के पूर्व अध्यक्ष कुंदन गुप्ता, बांका जिला कांग्रेस कमेटी की अध्यक्ष कंचना कुमारी और नालंदा जिला के रवि गोल्डन शामिल हैं।
अनुशासन समिति ने यह लगाया आरोप
इस संबंध में अनुशासन समिति के अध्यक्ष कपिलदेव प्रसाद यादव का कहना है कि संबंधित नेताओं से प्राप्त स्पष्टीकरण समिति को संतोषजनक नहीं लगा। उनके कार्य पार्टी अनुशासन उल्लंघन के पाँच मानकों में से तीन के अंतर्गत स्पष्ट रूप से आते हैं। अनुशासन समिति का आरोप है कि नेताओं ने कांग्रेस के कार्यक्रमों और निर्णयों के विरुद्ध लगातार पार्टी मंचों से बाहर बयान दिए हैं। इन नेताओं ने सक्षम अधिकारियों के निर्देशों की जानबूझकर अवहेलना की है। प्रिंट और सोशल मीडिया में टिकट खरीद–फरोख्त जैसे निराधार और भ्रामक आरोप लगाकर पार्टी की प्रतिष्ठा को गंभीर क्षति पहुँचाई है। समिति ने यह भी स्पष्ट किया कि जिन मुद्दों को उठाकर नेताओं ने दुष्प्रचार किया, उन पर पार्टी ने पूर्ण पारदर्शिता अपनाई थी। पर्यवेक्षकों की नियुक्ति, जनसंपर्क कार्यक्रम, प्रदेश चुनाव समिति की बैठकों तथा अखिल भारतीय चुनाव समिति द्वारा विस्तृत समीक्षा के बाद ही अधिकृत प्रत्याशियों की घोषणा की गई थी।
43 नेताओं को भेजा गा था नोटिस
बता दें कि 43 नेताओं को पार्टी की ओर से नोटिस भेजा गया था। 21 नवंबर को दोपहर 12 बजे तक इन्हें लिखित स्पष्टीकरण समिति के समक्ष प्रस्तुत करने को कहा गया था। इसके बाद पार्टी कार्यालय में धरना-प्रदर्शन भी हुआ था। अब 7 नेताओं पर पार्टी ने कार्रवाई की है।

