बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में महागठबंधन के दलों के बेहद खराब प्रदर्शन के साइड इफेक्ट सामने आने लगे हैं। विधानसभा चुनाव में हार के बाद महागठबंधन में खटास बढ़ती जा रही है। राष्ट्रीय जनता दल और कांग्रेस पार्टी के बीच तल्खियां बढ़ती नजर आ रही हैं। दोनों दलों के नेता एक-दूसरे को कटघरे में खड़ा करने की कोशिश कर रहे हैं।

चुनाव नतीजों के बाद सभी दल समीक्षा बैठकों के जरिए हार के कारणों पर विचार मंथन कर रहे हैं। आरजेडी जहां पटना में प्रमंडलवार बैठक करके खराब प्रदर्शन के कारण खोज रही है, वहीं कांग्रेस के नेता दिल्ली में समीक्षा बैठक कर रहे हैं। बताया जा रहा है कि दिल्ली में कांग्रेस की समीक्षा बैठक में कई नेताओं ने “एकला चलो” की नीति अपनाने और संगठन की मजबूती पर जोर दिया दिया। कई नेताओं ने चुनाव में दोस्ताना संघर्ष को भी हार का जिम्मेदार बताया।
“एकला चलो” पर जोर दे रहे कांग्रेस नेता
कांग्रेस के कई नेताओं ने दिल्ली में हाईकमान की समीक्षा बैठक के दौरान खुलकर कहा कि पार्टी को राजद से गठबंधन करने की बजाय अकेले चुनाव लड़ना चाहिए था। कांग्रेस विधायक दल के पूर्व नेता शकील अहमद खान ने दावा किया कि पार्टी के 61 उम्मीदवारों में से अधिकांश का मानना है कि राजद के साथ गठबंधन ने कांग्रेस के प्रदर्शन को कमजोर किया।
कांग्रेस ने भी माना ‘जंगलराज’ वाले नैरेटिव से हुआ नुकसान
कांग्रेस सूत्रों के अनुसार, एनडीए के प्रचारित ‘जंगलराज’ वाले नैरेटिव ने राजद ही नहीं, बल्कि पूरे महागठबंधन की छवि पर असर डाला। इसके अलावा, लालू प्रसाद की पार्टी के साथ जुड़ाव ने उन ऊंची जाति के मतदाताओं को भी दूर किया, जो पहले कांग्रेस के समर्थक माने जाते थे। कांग्रेस खेमा की बात करें तो उनके नेता हार के कारण को बताते कहते हैं, राजद के 1990 से लेकर 2005 तक के शासनकाल के दौरान जिस तरह से अराजकता बिहार में था, उस वजह से लोग उनके गठबंधन को वोट नहीं करते हैं।
आरजेडी ने कहा- बिहार में कांग्रेस की अलग पहचान नहीं
उधर, राजद नेताओं का कहना है कि कांग्रेस अपनी कमजोरी छिपाने के लिए जिम्मेदारी दूसरों पर डाल रही है। राजद के बिहार अध्यक्ष मंगनी लाल मंडल ने कहा कि कांग्रेस ने इस चुनाव में जो भी सीटें जीती हैं या जो भी वोट मिला है, वह आरजेडी की वजह से ही मिला है। उन्होंने कहा कि बिहार में आरजेडी का ही जनाधार है, यह बात कांग्रेस भी जानती है।
पूर्व प्रदेश अध्यक्ष मणिकांत मंडल ने कहा कि तेजस्वी यादव के नेतृत्व पर सवाल उठाना ठीक नहीं है। उन्होंने कहा कि अगर कांग्रेस को गठबंधन में रहकर नुकसान लग रहा है, तो उसे इस पर गंभीरता से विचार करना चाहिए। साथ ही उन्होंने दावा किया कि कांग्रेस की जो भी सीटें थीं, वो राजद के हिस्से से ही दी गई थीं, इसलिए कांग्रेस को अलग से कोई पहचान नहीं बनी।

