ओलचिकी’ के 100 साल पूरे, राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू करेंगी जमशेदपुर यात्रा, संताली भाषा के महा-उत्सव में होंगी शामिल

Manju
By Manju
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डिजिटल डेस्क। जमशेदपुर: राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू 29 दिसंबर को जमशेदपुर की अतिथि होंगी। राष्ट्रपति एक कार्यक्रम में शामिल होने जमशेदपुर आ रही है। उनकी जमशेदपुर यात्रा केवल एक कार्यक्रम में भागीदारी नहीं है, बल्कि यह संताली भाषा और उसकी लिपि ‘ओलचिकी’ के शताब्दी वर्ष के ऐतिहासिक महत्व को रेखांकित करती है। 29 दिसंबर को करनडीह में आयोजित होने वाले इस भव्य समापन समारोह में राष्ट्रपति की मुख्य अतिथि के रूप में संभावित उपस्थिति, देश में आदिवासी भाषाओं के संरक्षण और संवर्धन की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

राष्ट्रपति मुर्मू का दौरा: आदिवासी भाषाओं के प्रति सम्मान
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, जो स्वयं एक आदिवासी समुदाय से आती हैं, का ओलचिकी शताब्दी समारोह में शामिल होना इस लिपि के निर्माता पंडित रघुनाथ मुर्मू (‘गुरु गोमाके’) और संताली संस्कृति के प्रति राष्ट्रीय सम्मान को दर्शाता है।

यह आयोजन 1925 में आविष्कृत ओलचिकी लिपि के आधिकारिक लेखन प्रणाली बनने के 100 साल पूरे होने का उत्सव है, जिसने संताली समुदाय को अपनी भाषाई पहचान को सशक्त बनाने का एक माध्यम दिया है।

भाषा, साहित्य और संरक्षण का महाकुंभ
22 दिसंबर से 29 दिसंबर तक चलने वाला यह शताब्दी समारोह केवल एक उत्सव नहीं, बल्कि संताली भाषा के भविष्य पर केंद्रित एक गहन साहित्यिक और वैचारिक मंथन का केंद्र बनेगा।

संताली राइटर्स एसोसिएशन व साहित्य अकादमी के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित इस कार्यक्रम में साहित्यिक संध्या और 28 दिसंबर को ‘ओलचिकी पर सेमिनार’ का आयोजन किया जाएगा, जहाँ संताली भाषा के विद्वान और चिंतक इसके संरक्षण की चुनौतियों और संभावनाओं पर विचार करेंगे।

29 दिसंबर को अवॉर्ड समारोह में संताली भाषा के लिए उत्कृष्ट कार्य करने वाले लेखकों और चिंतकों को सम्मानित किया जाना, समुदाय के भीतर भाषाई कार्य को बढ़ावा देने का एक महत्वपूर्ण प्रयास है।

विरासत का सम्मान, भविष्य की तैयारी
करनडीह के दिशोम जाहिर थान में हो रहा यह आयोजन दिखाता है कि कैसे एक क्षेत्रीय लिपि ने अपनी पहचान की लड़ाई लड़कर राष्ट्रीय पटल पर अपनी जगह बनाई है। राष्ट्रपति की उपस्थिति से यह उम्मीद है कि देश में विलुप्त हो रही अन्य क्षेत्रीय और आदिवासी भाषाओं के संरक्षण के लिए भी राष्ट्रीय स्तर पर व्यापक और प्रभावी कदम उठाए जाएंगे। यह समारोह संताली समुदाय को अपनी गौरवशाली विरासत पर गर्व करने और भाषाई पहचान को नई पीढ़ी तक पहुंचाने के लिए प्रेरित करेगा।

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