लंबे संघर्ष और सरकारी हस्तक्षेप के बाद अफ्रीकी देश कैमरून में फंसे झारखंड के पाँचों मजदूर आखिरकार सुरक्षित अपने वतन लौट आए। गुरुवार सुबह मुंबई–हावड़ा मेल से पारसनाथ स्टेशन पहुँचे इन मजदूरों का गांव लौटते ही भावनात्मक स्वागत किया गया। परिजनों ने एक-दूसरे को मिठाइयाँ खिलाकर खुशी जाहिर की और राहत की सांस ली।
जानकारी के मुताबिक गिरिडीह और हजारीबाग जिले के ये मजदूर काम के सिलसिले में कैमरून गए थे, लेकिन वहां कंपनी ने पिछले चार महीने का वेतन नहीं दिया, जिससे मजदूरों को खाने-पीने तक के लाले पड़ गए। कठिन परिस्थितियों से जूझते हुए सभी मजदूरों ने समाजसेवी सिकन्दर अली के माध्यम से सोशल मीडिया पर वीडियो जारी कर वतन वापसी की अपील की थी।
वीडियो सामने आने के बाद झारखंड सरकार, भारत सरकार के विदेश मंत्रालय एवं संबंधित एजेंसियाँ सक्रिय हुईं, जिसके बाद न केवल मजदूरों का बकाया वेतन दिलाया गया बल्कि उन्हें सुरक्षित भारत वापस लाया गया।
वतन लौटने वाले मजदूर —
🔹 सुनील महतो (ऊंचाघना, विष्णुगढ़, हजारीबाग)
🔹 सुकर महतो (विष्णुगढ़, हजारीबाग)
🔹 चंद्रशेखर कुमार (करगालो, हजारीबाग)
🔹 डीलों महतो (हजारीबाग)
🔹 दिलचंद महतो (डुमरी, गिरिडीह)
घर लौटने के बाद मजदूरों ने झारखंड सरकार, केंद्र सरकार, मीडिया, और विशेष रूप से समाजसेवी सिकन्दर अली के प्रति आभार व्यक्त किया।
इस अवसर पर समाजसेवी सिकन्दर अली ने कहा —
“रोज़गार के लिए लाखों लोग विदेश जाते हैं, लेकिन कई बार उन्हें बहुत दर्दनाक परिस्थितियों का सामना करना पड़ता है। मजबूरी में घर से दूर जाना पड़ता है, ऐसे में सरकार को प्रवासी मजदूरों की सुरक्षा और अधिकारों के लिए और ठोस कदम उठाने की जरूरत है।”
इस सफल वतन वापसी ने एक बार फिर प्रवासी श्रमिकों की समस्याओं और उनके अधिकारों पर सरकार के सतर्क रहने की जरूरत को उजागर किया है।

