सरप्राइज देना भारती जनता पार्टी का स्टाइल रहा है। बीजेपी अक्सर ऐसे फैसले ले लेती है, जिसकी पार्टी नेताओं को भी भनक नहीं होती। रणनीतिक-राजनीतिक फैसलों के साथ-साथ नेता चुनने के बाद में भी बीजेपी चौंकाती रही है। रविवार को बीजेपी ने जब कार्यकारी राष्ट्रीय अध्यक्ष के रूप में नितिन नवीन के नाम की घोषणा की तो यह फैसला भी चौंकाने वाला ही था। दुनिया की सबसे बड़ी पार्टी बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष के रूप में नितिन नवीन के नाम की दूर-दूर तक चर्चा नहीं थी। हालांकि नितिन नवीन बीजेपी के राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष घोषित किए जा चुके हैं।

बीजेपी में ‘एक व्यक्ति-एक पद’ का सिद्धांत
भारतीय जनता पार्टी में राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष की जिम्मेदारी मिलने के बाद बिहार सरकार में मंत्री नितिन नवीन को लेकर एक नया सवाल उठ खड़ा हुआ है कि क्या अब उन्हें मंत्री पद छोड़ना पड़ेगा? दरअसल, बीजेपी में लंबे समय से ‘एक व्यक्ति-एक पद’ का सिद्धांत लागू है। यानी भाजपा के भीतर यह परंपरा रही है कि बड़े संगठनात्मक पद पर रहते हुए सरकार में मंत्री पद नहीं रखा जाता।
क्या नितिन नवीन को छोड़ना होगा बिहार सरकार में मंत्री पद?
नितिन नवीन अगर वह राष्ट्रीय अध्यक्ष बनते हैं तो भाजपा के ‘एक व्यक्ति, एक पद’ की नीति के तहत बिहार सरकार का मंत्री पद छोड़ना होगा। जेपी नड्डा भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष रहते हुए लंबे समय से केंद्रीय मंत्रिमंडल में हैं, जिसपर लगातार सवाल उठ रहा है। बिहार में दिलीप जायसवाल मंत्री थे तो उन्हें प्रदेश भाजपा अध्यक्ष बनने पर सरकार की कुर्सी छोड़नी पड़ी थी। इस बार फिर वह प्रदेश अध्यक्ष रहते मंत्री बने हैं तो उनकी जगह नया प्रदेश अध्यक्ष बनाया जाना तय है। इसी तरह नितिन नवीन अगर भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष घोषित हो जाते हैं तो उन्हें कभी भी नीतीश कुमार सरकार के मंत्रिपरिषद् से इस्तीफा देना पड़ेगा।
अब संगठन के काम में देना होगा पूरा समय
यह पहली बार है जब बिहार के किसी नेता को भाजपा संगठन में इतनी बड़ी और प्रभावशाली जिम्मेदारी सौंपी गई है। ऐसे में माना जा रहा है कि अब उन्हें अपना पूरा समय संगठन के काम में देना होगा, जिसके चलते मंत्री पद पर बने रहना मुश्किल हो सकता है।

