केंद्र सरकार संसद में नया ग्रामीण रोजगार कानून लाने की तैयारी कर रही है, जिसके तहत मौजूदा महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (MGNREGA/मनरेगा) को बदलकर एक नया ढांचा लागू किया जाएगा।
सरकार ने ड्राफ्ट “विकसित भारत-गारंटी फॉर रोज़गार एवं आजीविका मिशन (ग्रामीण)” (VB-G RAM G) नामक विधेयक संसद के सदस्यों को वितरित किया है। इस विधेयक में मनरेगा को हटाकर ग्रामीण रोजगार के लिए एक नया कानूनी ढांचा तैयार करने की बात कही गई है।
इस प्रस्ताव के तहत:
ग्रामीण क्षेत्रों के हर योग्य परिवार को साल में 125 दिन रोजगार की गारंटी देने का प्रावधान है, जो मौजूदा मनरेगा के 100 दिनों की गारंटी से बढ़ाया गया है।
नए कानून में राज्यों और केंद्र के बीच मजदूरी भुगतान का खर्च साझा-आधारित मॉडल लाने का प्रावधान है, जबकि मनरेगा में अब तक पूरा खर्च केंद्र सरकार उठाती रही है।
इसी दौरान कृषि के शीर्ष सीज़न में 60 दिनों का ‘पॉज़’ रखने का प्रस्ताव भी है, ताकि उस समय मजदूर कृषि कार्य में उपलब्ध रहें।
इसके अलावा केंद्र सरकार के केंद्रीय कैबिनेट ने मनरेगा को “पूज्य बापू ग्रामीण रोजगार योजना” के नए नाम से जारी करने के फैसले को मंज़ूरी दी है तथा रोजगार दिवसों की संख्या 100 से बढ़ाकर 125 करने का निर्णय लिया है।
राजनीति में टकराव
इस निर्णय को लेकर राजनीतिक प्रतिक्रिया भी देखने को मिली है। कांग्रेस पार्टी ने आरोप लगाया है कि इसे नाम बदलकर छवि सुधारने की कोशिश बताया जा रहा है और यह मूक परिवर्तन है। विपक्ष ने कहा है कि महात्मा गांधी के नाम को हटाना और मूल योजना से हटकर बदलाव करना विवादास्पद है।
सरकार का कहना है कि बदलाव से ग्रामीण रोजगार को मज़बूती मिलेगी और योजना का प्रभाव बढ़ेगा, जबकि विपक्ष इसे सिर्फ ब्रेन्डिंग बदलाव बताता रहा है। फिलहाल यह बिल संसद में प्रस्तुत होने और चर्चा होने की प्रक्रिया में है।

