डिजिटल डेस्क/कोलकाता : कलकत्ता हाई कोर्ट ने पश्चिम बंगाल में शिक्षा विभाग को एक बड़ा झटका देते हुए गोरखालैंड प्रादेशिक प्रशासन (जीटीए) के तहत नियुक्त 313 शिक्षकों की नियुक्तियों को अवैध घोषित कर दिया है। न्यायमूर्ति बिस्वजीत बसु की पीठ ने इन शिक्षकों के नियमितीकरण और राज्य सरकार द्वारा दी गई मंजूरी को तत्काल प्रभाव से रद्द करने का आदेश दिया है। अदालत ने स्पष्ट किया कि ये नियुक्तियां बिना किसी औपचारिक या अधिकृत भर्ती प्रक्रिया के की गई थीं।
यह मामला 2023 में दायर एक याचिका के बाद प्रकाश में आया था, जिसमें दार्जिलिंग और कलिम्पोंग क्षेत्रों के स्कूलों में हुई इन नियुक्तियों को चुनौती दी गई थी। अदालती कार्यवाही के दौरान यह पाया गया कि कई शिक्षकों के पास अनिवार्य योग्यता जैसे बीएड डिग्री भी नहीं थी। राज्य सरकार 2010 के उस निर्देश का पालन करने में विफल रही, जिसमें लिखित स्वीकृति के बिना स्वयंसेवी शिक्षकों की भर्ती पर रोक लगाई गई थी।
अदालत ने इस बात पर कड़ी नाराजगी व्यक्त की कि बिना कानूनी प्रक्रिया के की गई नियुक्तियों का बोझ सरकारी खजाने पर क्यों डाला गया। इससे पहले कोर्ट ने इन शिक्षकों के वेतन पर भी रोक लगाने का प्रस्ताव दिया था। इस फैसले के माध्यम से हाई कोर्ट ने प्रशासनिक अधिकारियों को कड़ा संदेश दिया है कि प्रशासनिक अनुमोदन के नाम पर वैधानिक प्रक्रियाओं और नियमों का उल्लंघन स्वीकार नहीं किया जाएगा।

