ओबीसी अधिकारों को लेकर राष्ट्रीय ओबीसी मोर्चा का राज्यव्यापी अभियान

KK Sagar
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ओबीसी समुदाय के हक और अधिकारों को सुनिश्चित करने को लेकर राष्ट्रीय ओबीसी मोर्चा लंबे समय से संघर्षरत है। इसी क्रम में राष्ट्रीय ओबीसी अधिकारी–कर्मचारी मोर्चा द्वारा 21 दिसंबर 2025 को राज्यभर के ओबीसी अधिकारियों, कर्मचारियों एवं बुद्धिजीवियों को संगठित कर सरकार के समक्ष अपनी 11 प्रमुख मांगें रखी जाएंगी।

जनसंख्या अनुपात में आरक्षण और प्रोन्नति की मांग

मोर्चा की प्रमुख मांगों में एससी, एसटी एवं ईडब्ल्यूएस की तरह ओबीसी को जनसंख्या अनुपात में आरक्षण, साथ ही सरकारी नौकरियों में प्रोन्नति में आरक्षण शामिल है। इसके अलावा झारखंड के लातेहार, गुमला, सिमडेगा, लोहरदगा, खूंटी, पश्चिमी सिंहभूम एवं दुमका जिलों में लागू शून्य ओबीसी आरक्षण व्यवस्था समाप्त करने की मांग भी प्रमुखता से उठाई गई है।

क्रीमी लेयर और स्वतंत्र ओबीसी मंत्रालय का मुद्दा

मोर्चा ने ओबीसी आरक्षण में लागू क्रीमी लेयर प्रावधान को समाप्त करने अथवा उसकी वैधता तीन वर्ष तक सीमित करने की मांग की है। साथ ही स्वतंत्र ओबीसी मंत्रालय के गठन और जनसंख्या अनुपात में बजट आवंटन की भी मांग रखी गई है।

भर्ती प्रक्रिया में पारदर्शिता और आयु सीमा में छूट

अन्य मांगों में ओबीसी अभ्यर्थियों को अधिकतम आयु सीमा में कम से कम पांच वर्ष की छूट, प्रतियोगी परीक्षाओं के साक्षात्कार में बायोडाटा के स्थान पर कोड नंबर प्रणाली लागू करने, तथा सरकारी भर्तियों में वास्तविक रिक्तियों के आधार पर वर्षवार रोस्टर चार्ट प्रकाशित करने की मांग शामिल है।

न्यायिक प्रतिनिधित्व और समितियों में भागीदारी की मांग

मोर्चा ने हाई कोर्ट एवं जिला कोर्ट में ओबीसी को न्यायिक प्रतिनिधित्व देने की मांग उठाई है। इसके अलावा नियुक्ति, प्रोन्नति एवं स्थानांतरण समितियों में ओबीसी प्रतिनिधित्व, तथा ओबीसी शिकायत निवारण प्रकोष्ठ के गठन की भी मांग की गई है।

छात्रावास और वित्त निगम को सक्रिय करने पर जोर

मोर्चा ने सभी जिलों में ओबीसी छात्र–छात्राओं के लिए छात्रावास की व्यवस्था करने और झारखंड राज्य पिछड़ा वर्ग वित्त निगम को पूर्ण रूप से क्रियाशील करने की मांग भी सरकार के समक्ष रखी है।

सरकार से शीघ्र निर्णय की अपील

राष्ट्रीय ओबीसी अधिकारी–कर्मचारी मोर्चा ने सरकार से अपील की है कि इन सभी मांगों पर शीघ्र सकारात्मक निर्णय लेकर प्रभावी कार्रवाई की जाए, ताकि ओबीसी समाज को उसका संवैधानिक अधिकार मिल सके।

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