भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष बनने के बाद नितिन नवीन मंगलवार को पहली बार बिहार पहुंचे। इस दौरान नितिन नवीन ने करीब छह किलोमीटर लंबा रोड शो किया। रोड शो खत्म करने के बाद नितिन नवीन ने मिलर हाई स्कूल ग्राउंड से पार्टी कार्यकर्ताओं को संबोधित किया।

राहुल गांधी पर साधा निशाना
भाजपा नेता नितिन नवीन ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी में शॉर्टकट की राजनीति की कोई जगह नहीं है। उन्होंने राहुल गांधी और तेजस्वी यादव पर निशाना साधते हुए कहा कि चुनाव के समय वोट चोरी का नारा देने वाले नेताओं को जनता ने जवाब दे दिया, इसके बाद वे न तो बिहार आए और न ही जनता के बीच गए। नितिन नवीन ने कहा कि चुनाव खत्म होने के बाद कुछ नेता देश से बाहर जाकर बिहार और देश की शिकायत करने लगे। राहुल बाबा ने जर्मनी जाकर अपने देश को गाली दी। उन्होंने अपने ही देश का अपना किया।
सदन की कार्यवाही के गायब रहने पर तेजस्वी को सीख
वहीं उन्होंने तेजस्वी यादव पर हमला करते हुए कहा कि बिहार के एक बड़े नेता सदन की कार्यवाही के दौरान गायब रहते हैं और चुनाव के बाद विदेश चले जाते हैं। ऐसे नेताओं को बिहार की जनता और राजनीति से कोई लेना-देना नहीं है। उन्होंने कहा कि राजनीति शॉर्टकट की नहीं, बल्कि निरंतर मेहनत और जनता के साथ जुड़े रहने की होती है। भाजपा ही एक ऐसी पार्टी है जो अपने कार्यकर्ताओं को पंचायत से लेकर देश के शीर्ष पदों तक पहुंचने का अवसर देती है।
पार्टी के आलाकमान की नजर हर किसी पर-नवीन
नवीन ने आगे कहा कि आजकल कार्यकर्ता सोचते हैं कि काम कैसे शुरू करें। उन्होंने सलाह दी कि राजनीति कोई छोटा रास्ता नहीं है बल्कि लंबे समय का काम है। लगातार मेहनत करनी पड़ती है। पार्टी के आलाकमान की नजर हर किसी पर है। बिहार में भाजपा को बड़ा जनादेश मिला है तो जिम्मेदारी भी उतनी ही बढ़ गई है। सरकार अपना काम तो करेगी लेकिन कार्यकर्ताओं का फर्ज है कि वो सरकार की योजनाओं को आम लोगों तक पहुंचाएं।
अपने पिता की राजनीतिक विरासत का जिक्र
कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए नितिन नवीन ने कुछ सुझाव भी दिए। उन्होंने कहा कि जनता के मन की बात को समझना बहुत जरूरी है। कार्यकर्ताओं को सम्बोधित करते हुए उन्होंने अपने पिता की राजनीतिक विरासत का भी जिक्र किया। उन्होंने बताया कि उनके पिता नवीन किशोर प्रसाद सिन्हा उन्हें कार्यकर्ताओं के साथ मिलकर काम करने की सीख दी थी। नितिन नवीन ने बताया की उन्होंने खुद अपने पिता को राजनीति में काम करते नहीं देखा था, क्योंकि वो खुद राजनीति से दूर थे। लेकिन लोगों से सुनकर पता चला कि पिता जी हर कार्यकर्ता को परिवार का सदस्य मानते थे।

