सिलीगुड़ी में महाकाल मंदिर, गंगासागर पुल का ऐलान: 2026 से पहले ममता का ‘सॉफ्ट हिंदुत्व’ दांव

KK Sagar
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पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने 2026 के विधानसभा चुनाव से पहले बड़ा सियासी दांव खेलते हुए सिलीगुड़ी में महाकाल मंदिर और गंगासागर में पुल बनाने का ऐलान किया है। यह फैसला सिर्फ धार्मिक आस्था तक सीमित नहीं, बल्कि बीजेपी के मजबूत हिंदुत्व नैरेटिव को उसी की पिच पर चुनौती देने की रणनीति माना जा रहा है।

मुख्यमंत्री ने घोषणा की है कि जनवरी के दूसरे हफ्ते में सिलीगुड़ी में महाकाल मंदिर की नींव रखी जाएगी, जबकि 5 जनवरी को गंगासागर पुल की आधारशिला रखी जाएगी। इससे पहले दीघा में बन रहा भव्य जगन्नाथ मंदिर इस बात का संकेत दे चुका है कि ममता बनर्जी अब ‘हिंदुत्व’ के मुद्दे पर बीजेपी को वॉकओवर देने के मूड में नहीं हैं।

उत्तर बंगाल का सियासी गणित

इस फैसले को समझने के लिए उत्तर बंगाल का राजनीतिक नक्शा देखना जरूरी है। सिलीगुड़ी उत्तर बंगाल का प्रवेश द्वार है—वही इलाका जहां पिछले लोकसभा और विधानसभा चुनावों में बीजेपी ने टीएमसी को कड़ी चुनौती दी। आदिवासी, गोरखा समुदाय और हिंदू वोटों के एकीकरण से बीजेपी की पकड़ यहां मजबूत रही है। ममता का मंदिर ऐलान इसी किले में सेंधमारी की कोशिश है।

महाकाल मंदिर: एक तीर, कई निशाने

आस्था का संदेश: भगवान शिव (महाकाल) उत्तर बंगाल के पहाड़ी समुदायों, गोरखाओं और आदिवासियों के आराध्य हैं। मंदिर के जरिए ममता सीधे इन समुदायों की भावनाओं को संबोधित कर रही हैं।

राजनीतिक काउंटर: बीजेपी जिस ‘हिंदू रक्षक’ की छवि के सहारे वोट मांगती रही है, उसे ममता चुनौती देते हुए संदेश दे रही हैं—मंदिर बंगाल बना रहा है, दिल्ली नहीं।

नैरेटिव ब्रेक: बीजेपी लंबे समय से ममता पर मुस्लिम तुष्टीकरण के आरोप लगाती रही है। मंदिर निर्माण का यह कदम उसी नैरेटिव को तोड़ने की कोशिश है।

‘सॉफ्ट हिंदुत्व’ की आक्रामक रणनीति

कभी ‘जय श्री राम’ के नारों से असहज दिखने वाली ममता बनर्जी अब खुले तौर पर धार्मिक-सांस्कृतिक एजेंडे को आगे बढ़ा रही हैं। उनका कहना है कि वे धर्मनिरपेक्ष हैं और सभी धर्मों में विश्वास करती हैं, लेकिन इसका मतलब हिंदू आस्था से दूरी नहीं। यह रुख ‘बंगाली हिंदू बनाम हिंदी बेल्ट के हिंदुत्व’ की सियासी बहस को भी धार देता है।

दीघा का जगन्नाथ मंदिर और पर्यटन दांव

पुरी की तर्ज पर दीघा में बन रहा जगन्नाथ मंदिर सिर्फ धार्मिक नहीं, बल्कि पर्यटन और छवि निर्माण का भी प्रोजेक्ट है। ममता की योजना है कि इससे बंगाल में धार्मिक पर्यटन बढ़े और उनकी हिंदू छवि और मजबूत हो। अब सिलीगुड़ी का महाकाल मंदिर उत्तर और दक्षिण—दोनों छोरों पर आस्था के बड़े केंद्र खड़े करता है, जो बीजेपी के राम मंदिर नैरेटिव का सीधा काउंटर है।

गंगासागर पुल: आस्था के साथ केंद्र को संदेश

गंगासागर मेला कुंभ के बाद हिंदुओं का दूसरा सबसे बड़ा समागम माना जाता है। ममता लंबे समय से इसे ‘राष्ट्रीय मेला’ घोषित करने और पुल निर्माण में केंद्र की मदद की मांग कर रही थीं। अब खुद पुल बनाने का ऐलान कर उन्होंने दो संदेश दिए हैं—

हिंदू तीर्थयात्रियों की चिंता राज्य सरकार की प्राथमिकता है, और

केंद्र मदद करे या न करे, बंगाल रुकेगा नहीं।

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