झारखंड की राजधानी रांची स्थित सदर अस्पताल राज्य का पहला सरकारी अस्पताल बनने जा रहा है, जहां नए वर्ष में बोन मैरो ट्रांसप्लांट की अत्याधुनिक सुविधा शुरू की जाएगी। यह पहल न सिर्फ रांची बल्कि पूरे झारखंड के मरीजों के लिए बड़ी राहत और ऐतिहासिक उपलब्धि मानी जा रही है।
बीमा धारकों को निःशुल्क इलाज
आमतौर पर बोन मैरो ट्रांसप्लांट पर निजी अस्पतालों में 20 से 50 लाख रुपये तक का खर्च आता है। लेकिन रांची सदर अस्पताल में आयुष्मान भारत कार्ड धारकों और कर्मचारी स्वास्थ्य बीमा योजना से जुड़े मरीजों को यह सुविधा पूरी तरह निःशुल्क उपलब्ध कराई जाएगी। वहीं, जिन मरीजों के पास कोई बीमा या कार्ड नहीं होगा, उन्हें भी यह इलाज सब्सिडाइज्ड दरों पर, यानी बेहद कम खर्च में मुहैया कराया जाएगा।
8वें तल्ले पर बनेगी विशेष यूनिट
सदर अस्पताल रांची के सिविल सर्जन डॉ. प्रभात कुमार ने बताया कि बोन मैरो ट्रांसप्लांट यूनिट सदर अस्पताल के आठवें तल्ले पर बनाई जाएगी, जहां पर्याप्त और उपयुक्त जगह उपलब्ध है। चूंकि इस प्रक्रिया में संक्रमण से बचाव सबसे अहम होता है, इसलिए यहां हाई-क्वालिटी इंफ्रास्ट्रक्चर विकसित किया जाएगा।
आधुनिक तकनीक और सुरक्षित ढांचा
निर्माण कार्य भवन निर्माण निगम लिमिटेड के माध्यम से कराया जाएगा। मरीजों के कमरे में कम से कम तीन दीवारें स्टेनलेस स्टील की होंगी, ताकि बेहतर साफ-सफाई और डिसइंफेक्शन सुनिश्चित किया जा सके। एक दीवार ग्लास की होगी, जिससे मरीज बाहर का दृश्य देख सके और मानसिक रूप से खुद को बेहतर महसूस करे।
जनवरी से निर्माण, अप्रैल–मई में इलाज शुरू होने की उम्मीद
डॉ. प्रभात कुमार ने बताया कि फिलहाल देश के बड़े और एशिया-स्तरीय अस्पतालों में चल रहे बोन मैरो ट्रांसप्लांट सिस्टम का अध्ययन किया जा रहा है। जनवरी से निर्माण कार्य शुरू होगा और मार्च तक पूरा होने की उम्मीद है। इसके बाद अप्रैल–मई में सदर अस्पताल में बोन मैरो ट्रांसप्लांट की वास्तविक शुरुआत कर दी जाएगी।
सरकार और अधिकारियों का आभार
उन्होंने इस उपलब्धि के लिए झारखंड सरकार का आभार जताते हुए कहा कि माननीय मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन, स्वास्थ्य मंत्री, वित्त मंत्री और पूरे कैबिनेट के सहयोग से यह संभव हो पाया है। साथ ही चीफ सेक्रेटरी, एसीएस और अन्य वरिष्ठ अधिकारियों के मार्गदर्शन में यह कार्य तेजी से आगे बढ़ रहा है।
कम खर्च में बड़ी राहत
जहां निजी अस्पतालों में यह इलाज 20 से 50 लाख रुपये तक का होता है, वहीं सदर अस्पताल में बिना बीमा वाले मरीजों के लिए भी इसे 10 लाख रुपये के अंदर लाने की कोशिश की जा रही है। यानी ऐसे मरीजों को भी करीब 50 प्रतिशत तक कम खर्च में यह जीवनरक्षक सुविधा उपलब्ध हो सकेगी।
यह सुविधा शुरू होने के बाद झारखंड के गंभीर मरीजों को अब इलाज के लिए दूसरे राज्यों की ओर रुख नहीं करना पड़ेगा, जिससे समय, पैसा और परेशानी—तीनों की बचत होगी।

