मिरर मीडिया : एडमिट कार्ड को लेकर जबरन पूरी फीस वसूलने का मामला सामने आया है जहाँ अभिभावक स्वयं धनबाद कोर्ट में वकील हैं। आपको बता दें कि अभी हाल में मारपीट और फिर फीस को लेकर अभिभावकों का हंगामा के बाद प्राथमिकी और अब अधिवक्ता अनूप कुमार सिन्हा ने डीएवी पब्लिक स्कूल कोयला नगर के ऑफिस सुपरीटेंडेंट जॉर्ज बर्नाड डिक्रूज के विरुद्ध अदालत में मुकदमा दर्ज कराया है।
दरअसल अधिवक्ता के द्वारा कोर्ट में दायर की गई मुक़दमे के अनुसार सिन्हा ने कोर्ट में दायर मुकदमे में कहा है कि 21 अप्रैल 22 को उनके वाट्सएप पर एक सूचना आई कि अपने बच्चे का एडमिट कार्ड लेने के लिए वह बच्चे के साथ स्कूल पहुंचें। इस सूचना पर वह अपने बच्चे के साथ डीएवी स्कूल कोयला नगर पहुंचे तो क्लास के अंदर शिक्षकों ने उनसे 46 हजार 220 रुपए की मांग की और कहा कि रुपये जमा करने पर ही एडमिट कार्ड दिया जाएगा। इस पर अधिवक्ता ने कहा कि एडमिट कार्ड सीबीएसई द्वारा जारी किया गया है, जिसमें कहीं नहीं लिखा गया कि बिना रुपये एडमिट कार्ड नहीं दिया जाएगा। दूसरी ओर, झारखंड सरकार ने भी कोविड-19 के तहत आदेश जारी किया है, जिसमें ट्यूशन फी छोड़कर अन्य शुल्क लेने पर प्रतिबंध लगाया गया है। जो आदेश आज तक प्रभावी है।
वहाँ मौजूद शिक्षकों ने उनसे प्रिंसिपल से इस विषय पर बात करने को कहा और उनके बच्चे को वहीं बैठा लिया। पर प्रिंसिपल मौजूद नहीं होने पर उनसे ऑफिस सुपरीटेंडेंट डिक्रूज से मिलने को कहा गया। इसी बीच अधिवक्ता की शिकायत है कि डिक्रूज ने उनके साथ अभद्रता की। कहा- ‘ज्यादा कानून मत बताओ, तुम जज हो क्या… बहुत जज को देखा है। जो करना है कर लो… तीन-चार केस और करवा दो। जब रुपये नहीं हैं तो बच्चे को तुम पढ़ाते क्यों हो? तुम्हारे जैसे बहुत वकील और जज को देखे हैं। अधिवक्ता ने कहा कि दबाव बनाकर जबरन एटीएम कार्ड और उनका मोबाइल फोन ले लिया गया। उनके अकाउंट से 46 हजार 220 रुपये की निकासी कर ली गई।
अधिवक्ता का आरोप है कि डीएवी पब्लिक स्कूल कोयला नगर के ऑफिस सुपरीटेंडेंट ने ना केवल उनके साथ अभद्रता की, बल्कि न्यायिक पदाधिकारियों पर भी अभद्र टिप्पणियां की। एडमिट कार्ड देने के एवज में जबरन उनसे 46 हजार 220 रुपए ले लिये। रुपये ना मिलने तक जबरन उनके बच्चे को बैठा कर रखा गया। अधिवक्ता ने कहा कि जब मैंने अनलॉफुल कन्फाइनमेंट ( सदोष परिरोध) की सूचना सरायढेला थाने को दी तो मेरे बच्चे को स्कूल से छोड़ा गया।
अधिवक्ता के अनुसार ऑफिस सुपरीटेंडेंट ने उनके और न्यायिक पदाधिकारियों के मान-सम्मान को ठेस पहुंचाई। मानहानि की, रंगदारी की, उनके बच्चे को सदोष परिरोध में रखा, मानसिक और शारीरिक रूप से प्रताड़ित किया। यह सब देखकर बच्चा स्कूल में ही फफक कर रोने लगा।
अधिवक्ता द्वारा दिये गए तर्क देते हुए कहा कि उनके बच्चे ने वैश्विक महामारी कोरोनाकाल के दौरान डीएवी स्कूल ने बिना बस की सुविधा लिए उनसे बस का किराया, इस्टैब्लिशमेंट फीस, एरियर, एनुअल चार्ज सब जोड़कर ले लिया गया। जबकि सरकार के आदेश के विरुद्ध इस मामले की लिखित शिकायत सरायढेला थाना को देने के बावजूद कार्रवाई नहीं होने पर उन्हें मजबूरन अदालत की शरण लेनी पड़ी।