जमशेदपुर। झारखंड एबोरिजनल कुड़मी पंच नामक संस्था ने दावा किया है कि झारखंड के कुड़मी जाति के लोग मूलतः आदिवासी हैं। संस्था का दावा है कि यह कोई कल्पना नहीं है, बल्कि 13 वर्षों तक चली जेनेटिक जांच का परिणाम यह साबित करता है, जिसकी अंतिम रिपोर्ट पिछले साल ही जारी हुई है। रविवार को गोलमुरी स्थित केबुल क्लब में आयोजित संवाददाता सम्मेलन में इस संस्था की ओर से अधिवक्ता और मानवाधिकार कार्यकर्ता निशांत अखिलेश ने यह दावा किया। उन्होंने दावा किया कि चीनी मूल के कुछ पुरुष 65 से 54000 साल पहले यहां आए थे, जिनका जीन झारखंडी कुड़मी लोगों में पाया गया है। उन्होंने बताया कि यह ऐसा अकाट्य साक्ष्य है, जो साबित करता है कि कुड़मी वास्तव में आदिवासी ही हैं। यह मामला पेशे से डॉक्टर बीबी महतो ने पिछले साल हाईकोर्ट में दायर की थी जिसमें कुड़मी के आदिवासी होने का दावा किया गया है। डॉक्टर महतो ने कहा कि 1950 के पूर्व तक कुड़मी आदिवासी सूची में दर्ज थे। परंतु इसके बाद अकारण उन्हें इस सूची से बाहर कर दिया गया। इसके कारण कुड़मी जाति को भारी नुकसान पहुंचा है। इसी के खिलाफ यह याचिका दायर की गई है। इस मौके पर अरविंद अंजुम ने भी संवाददाता सम्मेलन को संबोधित किया।

