मिरर मीडिया : जजों क़ी सुरक्षा के लिए केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट में फोर्स का गठन राज्यों को अपने स्तर पर करना चाहिए। वहीं केंद्र ने जजों की सुरक्षा के लिए एक राष्ट्रीय फोर्स का गठन की मांग को अव्यवहारिक बताया है। गौरतलब हैं कई झारखंड के धनबाद में एक जज की संदिग्ध मौत पर संज्ञान लेते हुए कोर्ट ने यह सुनवाई शुरू की है। जिसके बाद यह बात केंद्र ने देश भर के निचली अदालत के जजों की सुरक्षा क़ो लेकर सुप्रीम कोर्ट में चल रही सुनवाई के दौरान कही है। आपको बता दें कि कोर्ट ने इस मसले पर केंद्र और सभी राज्यों से जवाब मांगा था।
चीफ जस्टिस एन वी रमना की अध्यक्षता वाली 3 जजों की बेंच ने आज कहा, “हम राज्यों को यह निर्देश नहीं देना चाहते कि उन्हें क्या करना चाहिए। केंद्र राज्यों से बात करे।” इस पर केंद्र के लिए पेश सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने कहा, “जजों की सुरक्षा को लेकर राज्यों को एक मॉडल दिशानिर्देश जारी किया गया है।
आपको बता दें कि एक याचिका में जजों की सुरक्षा के लिए केंद्रीय रिज़र्व पुलिस बल या रेलवे प्रोटेक्शन फोर्स की तरह की राष्ट्रीय संस्था बनाने की मांग पर तुषार मेहता ने जवाब दिया कि यह व्यवहारिक मांग नहीं है। पुलिस और कानून-व्यवस्था राज्य सूची के विषय हैं। राज्य के स्तर की कोई संस्था ही वहां पुलिस से बेहतर तालमेल बना कर काम कर सकेगी। वहीं जवाब दाखिल न करने वाले राज्यों को कड़ी फटकार लगाते हुए कोर्ट ने 1 लाख रुपए का जुर्माना लगाने की चेतावनी देते हुए यह भी कहा कि 10 दिन बाद होने वाली सुनवाई से पहले जिस राज्य ने जवाब दाखिल नहीं किया, उसके मुख्य सचिव को व्यक्तिगत रूप से कोर्ट में पेश होना पड़ेगा।
जजों क़ी सुरक्षा के लिए राष्ट्रीय फोर्स गठन की मांग को केंद्र ने बताया अव्यवहारिक : राज्य स्तर पर होनी चाहिए फ़ोर्स का गठन

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