धनबाद के SNMMCH Hospital का मैनेजमेंट ठीक से काम क्यों नहीं करता, क्यों हमें एक नर्स के लिए चीखना चिल्लाना पड़ता है – कुव्यवस्था पर मृतक की पुत्री ने झारखंड सरकार से ट्वीट कर किये कई सवाल

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मिरर मीडिया : सरकारी अस्पताल की व्यवस्था राम भरोसे! शायद यही वजह है कि लोग सरकारी अस्पताल से आहत होकर मरीज को अच्छा, समय पर बेहतर इलाज और सुविधा की आस में प्राइवेट अस्पताल का रूख कर लेते हैं पर जो गरीब तबके के लोग है उनकी एकमात्र आस सरकारी अस्पताल ही है। ये सिर्फ नाम के सरकारी अस्पताल की कुव्यवस्था पर कई सवाल तब खड़े हुए ज़ब सड़क दुर्घटना के बाद इलाज के लिए एसएनएमएमसीएच लाया गया और अव्यवस्था की पराकाष्ठा से दुःखी मृतक की पुत्री रिंकी सिंह को मजबूरन ट्वीट करना पड़ा।

आपको बता दें कि विगत दिनों धनबाद गोविंदपुर थाना क्षेत्र में एक्सीडेंट हुए एक व्यक्ति की सड़क हादसे में मौत हो गयी। इसके बाद इलाज के लिए धनबाद एसएनएमएमसीएच (पहले पीएमसीएम) का रुख किया और फिर उचित व्यवस्था ना मिलने से नाराज़ रिंकी सिंह ने झारखंड सरकार और स्वास्थ्य मंत्री सहित कई अधिकारीयों और मीडिया को ट्वीट के माध्यम से अवगत कराया है।

एक पर एक कई सवाल दागते हुए रिंकी ने धनबाद SNMMCH की पूरी बदहाल स्थिति की  पोल खोल कर रख दी है। सुविधा के नाम पर खानापूर्ति का आलम यह रहा है कि हादसे के बाद उसे सरकार की स्वास्थ्य विभाग की कुव्यवस्था उजागर करने के लिए ट्विटर पर एक्टिव होना पड़ा। ट्विटर के माध्यम से उसने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता से सवाल किया है कि आखिर स्वास्थ्य विभाग की इस कुव्यवस्था के लिए कौन जिम्मेदार है और कब यह व्यववस्था सुधरेगी।

रिंकी ने लिखा है कि ‘मैं ट्वीट करने के अलावा और कुछ कर भी नहीं सकती लेकिन जो कर सकते हैं वो please कुछ करें। Hospital का मैनेजमेंट ठीक से काम क्यों नहीं करता, क्यों हमें एक नर्स के लिए चीखना चिल्लाना पड़ता है, एक मरीज जो बुरी तरह जख्मी है 8hrs बीत जाते है ना X-ray ना CT scan na koi Doctor कुछ नहीं क्यों??’

रिंकी ने लिखा है कि ‘रात के 8 बजे से सुबह 8 बजे तक एक भी डॉक्टर इमरजेंसी में भी देखने नहीं आया। पता नहीं वहां कोई डॉक्टर भी आता है या नहीं। आखिर सरकारी अस्तपतालों की ऐसी हालत क्यों है? कैसे भरोसा करें हम अपनी सरकार पर? मैं सरकार से पूछना चाहती हूं क्या वो जाना चाहेंगे ऐसे हॉस्पिटलस में?’

रिंकी ट्विटर पर लिखती है कि ‘अस्पताल में अपनी मम्मी, भाई और बहन को तड़पता देख, यह लग रहा था कि सरकारी अस्पताल में काम करने वाले लोग इंसान नहीं होते’। आगे उसने लिखा है कि ‘भाई शुभम जो हादसे में गंभीर रूप से घायल हो गया, उसे बिना एक्सरे किए ही पैर का प्लास्टर कर दिया। दूसरे अस्पताल में पता चला कि भाई का पैर नहीं टूटा बल्कि स्पाइन में चोट आई है, पैर का प्लास्टर काटकर हटाना पड़ा। मां और बहन का सिर कई जगहों से फट गया था। दर्द से तड़प रही मेरी मां और बहन को बिना लोकल एनेस्थीसिया इंजेक्शन लगाए ही आंख और सिर की बोरे की तरह SNMMCH में सिलाई कर दी गई। अस्पताल में बहन और मां की जल्लाद की तरह स्टीच की गई’।

आगे रिंकी लिखती हैं कि ‘मां हिल भी नही पा रही थी, बाथरूम नही जा सकती थी, SNMMCH में ट्यूब लगाने को कहा तो एक तसला जैसा बर्तन दे दिया और कहा इसमें करा दो। मां काफी कष्ट में थीं, उसकी लोअर बॉडी हिल भी नहीं पा रही थी, बाद उसे हमने डायपर पहनाया. दूसरे अस्पताल में ले जाना चाहा तो 1 घंटे तक स्ट्रेचर नहीं मिला। फिर स्ट्रेचर का इंतेजाम भी खुद से किया घर के लोगों ही ने मां को स्ट्रेचर पर लिटाया सीढ़ियों से किसी तरह डरते हुए एंबुलेंस के पास लाये और गोद में उठाकर एंबुलेंस में लिटाया। किसी के लिए कोई वार्ड बॉय नहीं मिला’।

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