मिरर मीडिया : निजी स्कूलों और किताब दुकानों की मनमानी से अभिभावक लगातर परेशान हो रहे हैं। लगातार मिल रही शिकायत पर विभाग की ओर से कोई पहल नहीं होने से किताब दुकानों की मनमानी सर चढ़कर बोलने लगी है नतीजा चिन्हित स्कूलों के लिए बेच रहे किताब दुकानदार कुछ भी रियायत अभिभावकों को नहीं कर रहे हैं और मनमानी तरीके से पैसे वसूल रहे हैं वहीं दूसरी तरफ स्कूल भी एनसीईआरटी किताब की जगह अलग-अलग पब्लिशर की किताब लेने पर अभिभावकों को मजबूर कर रहे है जो कि पूरी तरह से नियम विरुद्ध है।
आलम ये है कि किताब दुकानदारों की इतनी मोटी कमाई हो रही है कि वे लोग अलग-अलग ब्रांच भी खोल दे रहे हैं और तय समय के बाद फिर उसे बन्द भी कर देते है जो पूरी तरह से शॉप एंड एस्टेब्लिशमेंट एक्ट का उल्लंघन है। शॉप एंड एस्टेब्लिशमेंट एक्ट और इसके नियम से सम्बन्धित जानकारी साझा करते हुए श्रम अधीक्षक रंजीत कुमार ने बताया की दुकानों का शॉप एंड एस्टेब्लिशमेंट एक्ट के तहत रजिस्ट्रेशन कराना अनिवार्य इसके तहत काम करने वाले कर्मियों को न्यूनतम वेतन भी देना है नियमों का उल्लंघन कर रहे सभी दुकानों की औचक जांच कर कार्रवाई की जाएगी।
बता दें कि शॉप एंड एस्टेब्लिशमेंट एक्ट के तहत केवल तय समय सीमा के लिए दुकानें नहीं खोली जा सकती है दुकानों को एक नियम और कानून के तहत चलाने होंगे साथ ही काम कर रहे सभी कर्मियों को न्यूनतम वेतन भी देने होंगे। जबकि कुछ किताब दुकानदार केवल तय समय सीमा के लिए ही दुकान खोलते हैं और चिन्हित निजी स्कूलों के लिए किताबो की बिक्री के बाद दुकान को बंद कर देते हैं ऐसे में शॉप एंड एस्टेब्लिशमेंट एक्ट का पूरी तरह से उल्लंघन हो रहा है।
अब जिस तरह से श्रम अधीक्षक ने जांच कर कार्रवाई करने की बात कही है वैसे में किस प्रकार से जांच होकर करवाई होती है यह देखना दिलचस्प होगा।