मिरर मीडिया : राज्य को सबसे अधिक राजस्व देने वाला विभाग खुद अपनी राजस्व की चिंता में खो कर रह गया है। वो कहते है न की हर जगह कमाऊ पूत की खूब पूछ होती है लेकीन राज्य का खनन विभाग एक ऐसा विभाग है जहां कार्यरत अधिकांश अधिकारीयों और पदाधीकारीयों की कोई टोह लेने वाला नही हैं।
राज्य में खनन विभाग में कार्यरत खान निरीक्षक, जिला खनन पदाधिकारी और सहायक खान पदाधिकरी की ज्वाइनिंग से लेकर आज तक ना तो कंफर्मेशन हुई है ना ही इंक्रीमेंट, प्रमोशन तो उनके लिए दूर की बात है। विभाग के अधिकांश अधिकारी इसी का रोना रो रहे हैं और अपनी मनोदशा से वरीय अधिकारियों को अवगत भी करा रहे है।
अगर हम बात करे तो राज्य में 24 जिलों में 24 जिला खनन पदाधिकारी होने चहिए जबकि वर्तमान में सिर्फ राँची, हजारीबाग, मुख्यालय, दुमका और चतरा में ही जिला खनन पदाधिकारी है जबकि बाकी 18 जिलों में सहायक खनन पदाधिकारी है जो की डीएमओ के प्रभार में हैं। मतलब 18 जिलों में जिला खनन पदाधिकारी की भी कमी है।
राज्य के धनबाद, बोकारो ,गिरिडीह, खूंटी सराय केला,चाईबासा, राँची, देवघर रामगढ़ ,गोड्डा और रांची मुख्यालय में सहायक खनन पदाधिकारी है जो की जिला खनन पदाधिकारी के प्रभार में है।वही लातेहार और पलामू एक ही सहायक खनन पदाधिकरी के भरोसे चल रहा है। यानी कि एक ही साहब दोनों जगह ड्यूटी संभाल रहे हैं
वही जामताड़ा, पाकुड़, साहेबगंज, जमशेदपुर गुमला, गढ़वा और लोहरदग्गा में खान निरीक्षक है जिन्हे डीएमओ का प्रभार मिला है।
अब अगर बात करे खान निरीक्षक की यानी इंस्पेक्टर की तो कुल संख्या 18 है जो विगत कई वर्षों से इंक्रीमेंट दूर की बात कंफर्मेशन की आस में बैठे हुए हैं। तुम्हें समझ में नहीं आ रहा है कि विभाग के लिए इतना काम करते हैं बावजूद न तो इन्हें इंक्रीमेंट मिलता है नहीं परमोशन मिलता है कई दिनों से इनके इंक्रीमेंट, कंफर्मेशन और प्रमोशन के मामले लंबित है हालांकि हाल ही में सभी सचिव को इस मामले से अवगत कराया गया है जिसके बाद सचिव ने सभी को आश्वस्त किया है।
अब सचिव के आश्वासन के बाद विभाग के अधिकारियों और पदाधिकारियों की उम्मीद तो जगी है लेकिन यह आश्वासन केवल आश्वासन ही न रह जाए इसी उम्मीद पर लोगों की आस टिकी हुई है। क्योंकि अगर हम बात करें तो अलग-अलग प्रशासनिक विभाग में समय के अनुसार लोगों के पदोन्नति और इंक्रीमेंट होते रहते हैं ऐसे में इनका समय पर पदोन्नति और वेतन में बुद्धि ना होना कहीं ना कहीं इनके प्रोत्साहन में कमी लाता है। ऐसे में सरकार को इनकी उचित और जायज मांगों को देखते हुए ध्यान देने की जरूरत है ताकि ये उत्साहित मन से काम कर सकें।